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Home ›   Blogs Hindi ›   Ganesh Puja: Know how to worship Vighnaraj Sankashti Chaturthi in the month of Ashwin and its importance.

Ganesh Puja : जानिये, आश्विन माह में कैसे करें विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पूजन और इसका महत्व

my jyotish expert Updated 05 Oct 2023 12:08 PM IST
Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: विभुवन संकष्टी चतुर्थी कब है जाने पूजा मुहूर्त और महत्व
Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: विभुवन संकष्टी चतुर्थी कब है जाने पूजा मुहूर्त और महत्व - फोटो : google
आश्विन माह में आने वाली कृह्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन गनेश जी का पूजन किया जाता है. इस दिन श्राद्ध पक्ष की चतुर्थी के साथ साथ श्री गणेश पूजन चतुर्थी का समय भी होता है. साल भर में पड़ने वाली चतुर्थी में से आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन की जाने वाली पूजा भक्तों को सुख प्रदान करने वाली होती है. इस शुभ दिन पर गणपति की पूजा भक्त पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं. चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से घर में समृद्धि, समृद्धि, सौभाग्य और धन-संपत्ति का आगमन होता है.
  
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गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त 
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ 2 अक्टूबर , 2023 को 07:36 होगा और इसकी समाप्ति 03 अक्टूबर 2023 को 06:11 पर सुबह के समय होगी. विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी सोमवार, अक्टूबर 2, 2023 को
मनाई जाएगी. इस दिन गणेश पूजन के साथ साथ चंद्रमा का पूजन किया जाएगा. संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय 08:05 का रहने वाला है. इस समय चंद्र पूजन के साथ व्रत संपन्न होगा. इस शुभ दिन पर भगवान का पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में कष्टों का समापन होता है तथा जीवन में सफलता का मार्ग प्रश्स्त होता है. 
 
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विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि 
गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह के समय स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर पूजा की शुरुआत करते हैं. इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं तथा पूजा आरंभ की जाती है. मंत्र एवं गणेश आरती के साथ बप्पा को प्रसन्न करते हैं. अगरबत्ती, आरती की थाली, सुपारी, सुपारी इत्यादि को भगवान के समक्ष अर्पित किया जाता है.  इस दौरान 'ओम गं गणपतये नम:' मंत्र का जाप करते हुए गणपति आराधना करते हैं. 

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संध्या के समय गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करते हुए चतुर्थी का व्रत एवं पूजन किया जाता है. इसके बाद भोग अर्पित करते हुए भगवान के समक्ष सुख समृद्धि की कामना करते हैं. इस प्रकार चतुर्थी का पूजन करते हुए भगवान सब ही प्रकार की विपत्तियों से हमारी रक्षा करते हैं तथा जीवन में शुभता एवं समृद्धि को भर देने वाले होते हैं. 
 
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