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Home ›   Blogs Hindi ›   Ganesh Mantra: Chant Sankatnashan Stotra on Ganesh Utsav, all troubles will go away

Ganesh Mantra: गणेश उत्सव पर करें संकटनाशन स्तोत्र जाप, सभी संकट होंगे दूर

my jyotish expert Updated 22 Sep 2023 02:30 PM IST
ganesh mantra
ganesh mantra - फोटो : my jyotish
गणेश महोतस्व का समय चल रहा है ओर चारों और लोग इसी की भक्ति में डूबे नजर आते हैं. सभी सुखों के दाता भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. उनकी कृपा से सुख, सौभाग्य, आय, आयु, धन और समृद्धि में अपार वृद्धि होती है. गणेश पर्व के समय यदि गणपति के संकट नाशन स्त्रोत का पाठ किया जाए तो इसका बहुत लाभ प्राप्त होता है.  भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. इसलिए भगवान गणेश की पूजा में इस स्त्रोत का पाठ करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं 

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संकटनाशन गणेश स्तोत्र का लाभ 

भगवान को कहा गया है " विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लंबोदयाय सकलाय जगद्धिताय! नागन्नाया श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!" भगवान गणेश की पूजा करने से सुख, सौभाग्य, आय, आयु, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है. भगवान गणेश की पूजा करते समय इन शक्तिशाली मंत्रों के साथ स्त्रोत का जाप जरूर करना चाहिए 

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भाद्रपद माह के यह दश दिन बहुत शुभ माने गए हैं. इन दिनों का विशेष महत्व है. इस अवसर पर प्रथम पूज्य भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. इसके अलावा उनके लिए व्रत भी रखे जाते हैं. वहीं गणेश उत्सव के पांचवें दिन माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. उनकी कृपा से सुख, सौभाग्य, आय, आयु, धन और समृद्धि में अपार वृद्धि होती है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. इसलिए भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं. भक्त भक्तिभाव से भगवान गणेश के स्त्रोत का पाठ करने से जीवन में बड़े से बड़ा संकट नष्ट होता है. 
  
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संकटनाशन गणेश स्तोत्र 

॥ श्री गणेशायनमः ॥
नारद उवाच -
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम .
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम .
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च .
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम .
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: .
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् .
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् .
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत .
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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