Ganesh Chaturthi Significance
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भाद्रपद माह की चतुर्थी आगमन के साथ ही घर में भगवान गणेश की स्थापना करने का समय भी भक्तों के लिए बेहद खास होता है. गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी और गणेशोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुत ही खास त्योहार है जिसे पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है.
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ज्ञान के देवता और सुखों के दाता भगवान गणेश का आगमन होने वाला है. आइए जानते हैं इस उत्सव के एतिहासिक स्वरुप को और इसकी विशेषता.
गणेश चतुर्थी सुख समृद्धि के आगमन का समय
भगवान के आगमन का उत्सव समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की जयंती के साथ शुरू होता है. इस बार पूरे देश में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. भगवान बप्पा के जन्म और उनके घर आगमन के समय को लेकर भक्तों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. गणेश चतुर्थी भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाई जाती है. यह समय भगवान गणेश की भक्ति से भरा होता है, विशेषकर उत्तर भारत के महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में इसकी सुंदरता देखने लायक होती है.
गणपति स्थापना और विसर्जन पूजा : 19 सितंबर से 28 सितंबर 2023
गणेश चतुर्थी का दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करने का बहुत ही विशेष समय होता है. ऐसे में भगवान श्री गणेश के इन मंत्रों का जाप करके भक्त अपनी भक्ति को और भी खास बना सकते हैं और चतुर्थी के दिन "ओम गणेशाय नम:, ओम गं गणपतये नम:" इन मंत्रों का जाप करने से भगवान श्री गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों को देते हैं मनचाहा आशीर्वाद उपलब्ध करवाना.
गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश, जिन्हें सभी बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में जाना जाता है, सभी हिंदू देवताओं में सबसे पहले पूजे जाते हैं. इस दिन सभी भक्त भगवान गणेश को अपने घर पर विराजमान कर सकते हैं. गणेश उत्सव के रूप में इस पर्व को 10 दिनों तक मनाया जाता है जो इस वर्ष 28 सितंबर को गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होगा.
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मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने गणेश उत्सव को धर्म और संस्कृति से जोड़कर लोगों को एक रुप में लाने का प्रयास किया. शिवाजी महाराज के बाद मराठा शासकों ने गणेश उत्सव को बड़े पैमाने पर मनाना जारी रखा. ब्रिटिश काल में इस पर्व को आजादी के नायकों ने आजादी पाने हेतु सभी तक पहुंचाया. भक्ति और शक्ति के इस पर्व नें स्वतंत्रा की भावना को भी जोर दिया और भारत के इतिहास को नया रुप दिया.