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Ganesh Chaturthi 2024 जानें माघ माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी का महत्व और इसकी कथाGanesh Chaturthi: पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश जी का पूजन विशेष रुप से होता है
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Ganesh Chaturthi 2024 जानें माघ माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी का महत्व और इसकी कथा
Ganesh Chaturthi: पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश जी का पूजन विशेष रुप से होता है, इस दिन को गणेश चतुर्थी, तिल चतुर्थी एवं गणेश जयंती के रुप में मनाय अजाता है. जानिए गणेश चतुर्थी की पूजा विधि विस्तार से यहां.
Chaturthi Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में आने वाली शुक्र एवं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. मान्यताओं के अनुसार गणेश पूजन के द्वारा समस्त प्रकार के सुखों की प्राप्त होती है. आइये जान लेते हैं माघ माह में आने वाली गनेण चतुर्थी पूजा एवं मंत्र साधना
धर्म मान्यता के अनुसार चतुर्थी का समय गणेश पूजा शुरू करने के साथ भगवान गणेश जी के मंत्र जाप हेतु उत्तम होता है. इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिए ओर फिर साफ कपड़े धारण करके पूजा आरंभ करनी चाहिए. गणेश जी के सामने बैठकर पूजा शुरू करनी चाहिए. भगवान गणेश का गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए. पूजा में भगवान श्री गणेश के साथ ही उनके माता पिता भगवान शिव एवं माता गौरी का पूजन भी करना चाहिए.गणेश चतुर्थी के दिन भगवान भक्तों को शुभता का आशिर्वाद प्रदान करते हैं.
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भगवान गणेश के जन्म से संबंधित है चतुर्थी कथा
भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी कथा पौराणिक काल से मानी गई है. इन कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं. तब उन्होंने अपने शरीर के उबटन से एक देह बनाई और उसमें प्राण फूंक दिये. माता पार्वती ने घर की रक्षा के लिए उन्हें द्वारपाल नियुक्त कर दिया. उस समय तक भगवान गणेश को कुछ भी पता नहीं था, उन्होंने माता पार्वती की आज्ञा का पालन किया और भगवान शिव को घर में प्रवेश करने से रोक दिया. शंकरजी ने क्रोधित होकर उसका सिर काट दिया. जब माता पार्वती ने अपने पुत्र की यह हालत देखी तो वह बहुत दुखी और क्रोधित हो गईं. इसका समाधान करने के लिए भगवान शिव ने भगवान गणेश के धड़ पर गज यानी हाथी का सिर लगा दिया. जिसके कारण उनका नाम गजानन पड़ा. अत: चतुर्थी के दिन उनका जन्म हुआ जिस कारण भगवान के जन्म की तिथि चतुर्थी को उनके पूजन हेतु अत्यंत विशेष माना गया है.गणेश चतुर्थी के मंत्र एवं प्रभाव
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणपति के मंत्र जाप एवं आरती से पूजा होती है संपुर्ण. भक्तों को मिलता है धन, विद्या और संतान का सुख.ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश, ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, मेरे दूर करो क्लेश.
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा.
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गणेश जी की आरती Ganesh Ji Ki Aarti
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी.जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा. जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया.जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा..
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा. जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी.जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.