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Home ›   Blogs Hindi ›   Ekadashi Stotra: Recite this stotra on Tuesday Ekadashi, you will get special Ekadashi benefits.

Ekadashi Stotra: मंगलवारी एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगा विशेष एकादशी लाभ

Acharyaa RajRani Updated 05 Feb 2024 01:38 PM IST
sawan ekadashi : सावन की अंतिम एकादशी पर भूल कर भी न करें ये काम वर्ना रुठ जाएगी किस्मत
sawan ekadashi : सावन की अंतिम एकादशी पर भूल कर भी न करें ये काम वर्ना रुठ जाएगी किस्मत - फोटो : my jyotish

खास बातें

Ekadashi Stotra: मंगलवारी एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगा विशेष एकादशी लाभ 
Ekadashi Vrat हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि को अत्यंत शुभ तथा महत्वपूर्ण माना जाता है. एकादशी के दिन किया जाने वाला स्त्रोत एवं मंत्र जाप मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले होते हैं. 

Ekadashi Puja : एकादशी तिथि का संबंध एक माह में दो बार आने से है अत:  इन दोनों समय पर किया गया मंत्र जाप विशेष होता है. 
 
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Ekadashi Stotra: मंगलवारी एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगा विशेष एकादशी लाभ 


Ekadashi Vrat हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि को अत्यंत शुभ तथा महत्वपूर्ण माना जाता है. एकादशी के दिन किया जाने वाला स्त्रोत एवं मंत्र जाप मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले होते हैं. 

Ekadashi Puja : एकादशी तिथि का संबंध एक माह में दो बार आने से है अत: यह हर माह में दो एकादशी तिथि आती है. पहली एकादशी कृष्ण पक्ष में और दूसरी एकादशी शुक्ल पक्ष में होती है. इन दोनों समय पर किया गया मंत्र जाप विशेष होता है. 

माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहा जाता है. इस बार षटतिला एकादशी 6 फरवरी 2024 को पड़ रही है. इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि आती है. षटतिला एकादशी की पूजा के दौरान यदि एकादशी स्तोत्र का पाठ किया जाए तो व्रत का विशेष फल तथा शुभ लाभ प्राप्त होता है.

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एकादशी स्त्रोत विशेष लाभ 

एकादशी के दिन व्रत एवं पूजन के साथ ही एकादशी स्तोत्र का पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. षटतिला एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है. एकादशी के दिन पूजा के अलावा भगवान को तिल और उड़द से बनी वस्तुओं एवं खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाना बेहद ही शुभ माना गया है. इस दिन तिल का विभिन्न प्रकार से प्रयोग करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है.

धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सुख, सौभाग्य और आय में भी वृद्धि होती है. अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं तो अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें. पूजा और आरती के समय स्तोत्र का पाठ भी करना अत्यंत विशेष होता है..

एकादशी मंत्र एवं स्त्रोत पूजा 

एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. इसके अलावा भक्त उनके लिए व्रत के साथ मंत्र जाप भी करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी की तिथि पर भगवान श्री हरि विष्णु जी के मंत्र जाप करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

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एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्र 
 
शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

 ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि ।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

एकादशी के दिन व्रत एवं पूजन के साथ ही एकादशी स्तोत्र का पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इसके साथ ही सुख, सौभाग्य और धन में अपार वृद्धि के लिए स्त्रोत जाप भी शुभ होती है. अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं तो मंगलवारी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें.  

 अच्युतस्याष्टकम्
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥
अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं माधवं श्रीधरं राधिकाराधितम् ।
इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे ॥
विष्णवे जिष्णवे शाङ्खिने चक्रिणे रुक्मिणिरागिणे जानकीजानये ।
बल्लवीवल्लभायार्चितायात्मने कंसविध्वंसिने वंशिने ते नमः ॥
कृष्ण गोविन्द हे राम नारायण श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ॥
राक्षसक्षोभितः सीतया शोभितो दण्डकारण्यभूपुण्यताकारणः ।
लक्ष्मणेनान्वितो वानरौः सेवितोऽगस्तसम्पूजितो राघव पातु माम् ॥
धेनुकारिष्टकानिष्टकृद्द्वेषिहा केशिहा कंसहृद्वंशिकावादकः ।
पूतनाकोपकःसूरजाखेलनो बालगोपालकः पातु मां सर्वदा ॥
विद्युदुद्योतवत्प्रस्फुरद्वाससं प्रावृडम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम् ।
वन्यया मालया शोभितोरःस्थलं लोहिताङ्घ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥
कुञ्चितैः कुन्तलैर्भ्राजमानाननं रत्नमौलिं लसत्कुण्डलं गण्डयोः ।
हारकेयूरकं कङ्कणप्रोज्ज्वलं किङ्किणीमञ्जुलं श्यामलं तं भजे ॥
अच्युतस्याष्टकं यः पठेदिष्टदं प्रेमतः प्रत्यहं पूरुषः सस्पृहम् ।
वृत्ततः सुन्दरं कर्तृविश्वम्भरस्तस्य वश्यो हरिर्जायते सत्वरम् ॥
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