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Home ›   Blogs Hindi ›   Ekadashi Shradh 2023: When will the Shraddha of Ekadashi date be held during Pitru Paksha? Know the date and p

Ekadashi shradh 2023 : पितृ पक्ष के दौरान कब होगा एकादशी तिथि का श्राद्ध ? जानें तिथि पूजा समय

Acharyaa RajRani Updated 09 Oct 2023 10:18 AM IST
Ekadashi shradh 2023
Ekadashi shradh 2023 - फोटो : my jyotish
पितृ पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी एवं श्राद्ध पक्ष की एकादशी के रुप में जाना जाता है. शास्त्रों में ज्ञात है कि पितृ पक्ष में स्नान, दान और तर्पण आदि के द्वारा पूर्वजों को शांति प्राप्त होती है. इसकी विशेष महत्ता हिंदू धर्म में अत्यंत मानी जाती है. इस समय पर पितरों के निमित्त हर प्रकार के पूजा कर्म किए जाते हैं. इसी में एकादशी तिथि के दौरान श्राद्ध कर्म या पिंडदान आदि उन लोगों हेतु होता है जिनका देहावासन एकादशी के दिन होता है. 

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एकादशी का समय श्री भगवान विष्णु के पूजन के लिए विशेष होता है. इस दिन श्राद्ध तिथि होने पर इसका महत्व अधिक होता है. इस दिन पितरों की शांति के लिए किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन, धन या वस्त्र का दान करना शुभ होता है. ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है.पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म या पिंडदान किया जाता है. यदि किसी व्यक्तिके पूर्वजों की मृत्यु की तिथि एकादशी है तो उसका श्राद्ध आश्विन एकादशी के दिन पर किया जाता है.   
  
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एकादशी श्राद्ध पूजन 2023
एकादशी तिथि का आरंभ 09 अक्टूबर दोपहर 12:36 बजे से होगा इसके बाद एकादशी तिथि की समाप्ति 10 अक्टूबर दोपहर 15:08 बजे के करीब पर होगी. 10 अक्टूबर को उदया तिथि मान्य है इसलिए इस दिन एकादशी श्राद्ध एवं व्रत रखा जाएगा. ऐसा माना जाता है कि एकादशी श्राद्ध की पूजा करने से पितरों को शांति मिलती है. जो लोग पितृ पक्ष के दौरान तर्पण नहीं कर पाते हैं वे भी इस एकादशी के दिन श्राद्ध करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं. पूजा के लिए 10 अक्टूबर 2023 सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:08 बजे तक का समय होगा इसके बाद 12:08 बजे से 01:35 बजे तक पूजा समय होगा इसके बाद 15:03 बजे से शाम 16:30 बजे तक रहेगा. 

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एकादशी श्राद्ध महत्व 
 सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. एकादशी को बेहद खास समय माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के समय पर पितृ पक्ष होने पर इस समय के दौरान स्नान, ध्यान, तर्पण, श्राद्ध आदि करने से व्यक्ति को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पूर्वजों के प्रसन्न होने पर उन्हें अनेक प्रकार का सुख प्रदान करते हैं.
 
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