dhanvantari jayanti
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भगवान धनवंतरी जी का पूजन आर्थिक सुख के साथ साथ शारीरिक स्वास्थ्य सुख को देने वाला होता है. इस वर्ष 11 नवंबर के दिन धनतेरस पर धनवंतरी जयंती का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन को भगवान धनवंतरी का पूजन किया जाता है और इस दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है.
धनवंतरी जी को आयुर्वेद के जनक के रुप में भी जाना जाता है अत: स्वास्थ्य लाभ को पाने के लिए इनकी पूजा विशेष फल देने वाली होती है. आइये जानें धन्वंतरि भगवान का पूजन और इनका महत्व
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भगवान धन्वन्तरि का पूजन देता है सुख समृद्धि का आशीर्वाद
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन पर ही धन्वन्तरि जी का पूजन भी विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन पर देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने की परंपरा तो है ही लेकिन साथ में ही इस दिन को भगवान धन्वन्तरि की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.धनतेरस पर इनकी पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है क्योंकि भगवान धन्वंतरि को देवताओं का चिकित्सक माना जाता है.
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धनवंतरी पूजन महत्व
भगवान धन्वंतरि को श्रीहरि विष्णु के 24 अवतारों में से 12वां अवतार माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान धन्वंतरि का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था. समुद्र मंथन के समय चौदह प्रमुख रत्न निकले जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृतलाश लेकर प्रकट हुए. चार भुजाओं वाले भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में आयुर्वेद शास्त्र, औषधि कलश, जड़ी-बूटियाँ और शंख रखते हैं.
धनतेरस पर प्रदोष काल में पूजा करने की परंपरा है. इस दिन न केवल धन बल्कि परिवार और स्वास्थ्य के लिए भी भगवान धन्वंतरि की पूजा करनी शुभ मानी जाती है. इस दिन पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है. आयुर्वेद के मूल ग्रंथ धन्वंतरि संहिता में भगवान का वर्णन किया गया है.