खास बातें
Dhanu Sankranti time 2023 इस साल 16 दिसंबर को धनु संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. इस संक्रांति के दिन सूर्य का राशि बदलाव होगा. सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है और धनु संक्रांति के रुप में यह संक्रांति पूजी जाएगी. संक्रांति का समय पूजा-पाठ, स्नान और दान के लिए विशेष माना गया है.धनु संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त शनिवार, 16 दिसम्बर 2023 को होगा. धनु संक्रान्ति पुण्य काल दोपहर 15:57 से 05:27 तक रहेगा. धनु संक्रान्ति महा पुण्य काल 04:09 से 05:27 तक होगा. धनु संक्रान्ति का प्रवेश काल समय 15:57 पर होगा.
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इस दिन किया जाने वाला दान बहुत महत्व रखता है. इस महीने भगवान सूर्य अपनी राशि बदलने के साथ ही प्रकृति में बदलाव को भी दर्शाते हैं. 16 दिसंबर से धनु राशि में गोचर करेंगे, इसलिए इसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है. आइए जानते हैं क्या है धनु संक्रांति का महत्व और महापुण्य काल समय.
धनु संक्रांति महापुण्यकाल समय Dhanu Sankranti Mahapunyakala time
धनु संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त शनिवार, 16 दिसम्बर 2023 को होगा. धनु संक्रान्ति पुण्य काल दोपहर 15:57 से 05:27 तक रहेगा. धनु संक्रान्ति महा पुण्य काल 04:09 से 05:27 तक होगा. धनु संक्रान्ति का प्रवेश काल समय 15:57 पर होगा.
धनु संक्रांति महत्व Dhanu Sankranti significance
सूर्य के इस परिवर्तन को देखते हुए विशेष पूजा एवं दान कार्य किए जाते हैं. शास्त्रों में तथा हिंदू धर्म में सूर्य को प्रमुख देव के रुप में स्थान प्राप्त है. 16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करने जा रहा है. इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए इस दिन धनु संक्रांति मनाई जाएगी.
सूर्य पंचांग के नौवें महीने की शुरुआत इसी समय पर होती है. वैष्णव संप्रदाय इसे बहुत ही शुभ महीना मानता है. इस समय को धनु मास भी कहते हैं. धार्मिक ग्रंथों में इस दिन सूर्य नारायण की पूजा करने की सलाह दी गई है.
ज्योतिष अनुसार धनु संक्रांति
ज्योतिष अनुसार सूर्य अपनी गति के आधार पर हर महीने अपनी राशि बदलता है और दूसरी राशि में चला जाता है. ऐसी स्थिति में, जिस दिन यह जाता है उसे उस राशि के आधार पर संक्रांति कहा जाता है. इसी प्रकार यदि 16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहा है तो इसे धनु संक्रांति कहा जाएगा.
संक्रांति उस समय को कहा जाता है जब सूर्य राशि परिवर्तन करता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन तीर्थ क्षेत्रों और पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष फल मिलता है.