विज्ञापन
विज्ञापन
धर्मग्रंथों में मौजूद पंचांग गणना के अनुसार इस दिन बन रहे ग्रह योग में भगवान शिव ने त्रिपुर नामक राक्षस का विनाश किया था और तीनों लोकों को संकट से मुक्त किया था। इस दिन को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने रासलीला की थी, जिसे देखने के लिए स्वयं भगवान शिव परिवर्तित रूप में पहुंचते हैं.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
देव दिवाली पर रास योग बहुत शुभ होता है. इस देव दीपावली पर कई तरह के मत हैं जिनमें से एक मत के अनुसार इस दिन भगवान धरती पर आकर रास भी करते हैं. पूर्णिमा तिथि के साथ ही रास योग प्रारंभ हो जाता है. श्री कृष्ण के रास योग का समय माना जाता है कि रात्रि से आरंभ होता है. जो मध्य रात्रि तक चलता है. कहा जाता है किए इस समय देवता भगवान की लीला का आनंद लेने यहां आते हैं.
देवदीपावली पर क्यों है यह योग शुभ कारी
देव दिवाली पर बनने वाला शुभ योग की स्थिति और उसके रहने के समय से संबंधित है तथा देवताओं के धरा पर होने का समय है. देव दिवाली के दिन बनने वाले योग जीवन में सुख को देते हैं. ऎसे में इस दौरान की जाने वाली पूजा-पाठ और अनुष्ठान से जुड़े कार्यों पर का अच्छा प्रभाव पड़ता है.
आपके स्वभाव से लेकर भविष्य तक का हाल बताएगी आपकी जन्म कुंडली, देखिए यहाँ
यह सब देव दीपावली स्थिति के अंतर्गत आता है. इस दिन पूजा का समय संपूर्ण दिवस में बना रहता है और संपूर्ण दिन ही शुभ माना जाएगा क्योंकि इस दिन देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं. शास्त्रों के अनुसार जब देव स्वर्ग में निवास करने के उपरांत पृथ्वी पर आते हैं तो कल्याणकारी समय होता है.