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देवी का अवतार है महाविद्याएं
महाविद्याओं को प्रकृति में तांत्रिक माना जाता है और आमतौर पर काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भैरवी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, बगलामुखी, धूमावती, मातंगी और कमला के रूप में पहचानी जाती हैं. महाविद्या ग्रंथ यह स्पष्ट करते हैं कि महाविद्या एक समूह हैं और सभी देवी के अवतरण हैं. मान्यताओं के अनुसार इसकी प्रत्येक विद्या अपने आप में महान है. दश महाविद्याओं का पूजन मंत्र जाप द्वारा सिद्धि को पाता है. भक्त जब इन विद्याओं की पूजा करता है तो उसके लिए कुछ कठोर नियम निशिचित होते हैं जिसमें यदि कुछ भी कमी रहती है तो उपासना की सिद्धि हो पाना संभव नही होता है.
दश महाविद्या मंत्र लाभ
ब्रह्ममुहूर्त में उपरोक्त मंत्र का जाप करने से भूत, भविष्य और वर्तमान को जानने की शक्ति प्राप्त होती है. नियमित रूप से ग्यारह माला जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है. जप से पहले आंतरिक और बाहरी शुद्धि करना बहुत जरूरी है. यानी सबसे पहले स्नान ध्यान और आसन प्राणायाम करना बेहद जरूरी है. साधक को दिव्य दृष्टि या वैराग्य प्राप्त होता है.
महाविद्या काली मंत्र
'ऊँ क्रीं कालिकायै नमः'
महाविद्या तारा मंत्र
ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट
महाविद्या ललिता मंत्र
'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।'
महाविद्या भुवनेश्वरी मंत्र
“ऐं हृं श्रीं ऐं हृं”
महाविद्या त्रिपुर भैरवी मंत्र
ऊँ ऎं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:
महाविद्या छिन्नमस्तिका मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचिनिये ह्रीं ह्रीं फट स्वाहा ॥
महाविद्या धूमावती मंत्र
ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा
महाविद्या बगलामुखी मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा’
महाविद्या मातंगी मंत्र
‘क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा:’
शनि जयंती पर शनि शिंगणापुर मंदिर में कराएं तेल अभिषेक
महाविद्या कमला मंत्र
श्रीं क्लीं श्रीं नमः॥