Chhath puja 2023
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कार्तिक माह की षष्ठी तिथि छठ पूजा के रुप में जानी जाती है. यह दिन सूर्य पूजा का एक विशेष समय होता है जो चार दिनों तक चलता है.लोक पर्व छठ को भारत में मनाये जाने वाले बेहद खास त्योहारों में जगह मिलती है. लोक आस्था से जुड़ा महापर्व 19 नवंबर को मनाया जाएगा. छठ का पर्व आस्था और परंपराओं का अद्भुत संगम रहा है. यह पर्व लोक आस्था का भी केंद्र है. बिहार और पूर्वाचल से जुड़े इलाकों में तो यह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है.
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छठ पूजा में नहाय खाय से लेकर अन्य नियम
छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है. यह बहुत ही कठोर और समर्पण से भरा त्यौहार है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में पहला दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है. नहाय-खाय का समय 17 नवंबर को होगा. नहाय खाय में व्रत करने वाला व्यक्ति सुबह-सुबह नदी आदि में स्नान करने के बाद साफ नए कपड़े पहनता है. छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. खरना के दिन एक समय मीठा भोजन खाया जाता है और उसके बाद इस दिन नमक नहीं खाया जाता है.
छठ पर्व के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है. शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इस दिन हजारों श्रद्धालु घाटों और नदियों में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. छठ पर्व का आखिरी और चौथा दिन उगते सूर्य की पूजा और अर्घ्य देने के साथ संपन्न होता है. इस दिन पूजा के बाद व्रत पूरा होता है और भक्तों को छठी मैया का आशीर्वाद मिलता है.
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छठ पूजा का महत्व और पूजा समय
छठ पूजा के समय को कई नामों से जाना जाता है. इस दिन को सूर्य षष्ठी, छठी, डाला छठ आदि नामों से भी पुकारा जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी के समय को छठ पर्व के रूप में मनाया जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 18 नवंबर 2023 को सुबह करीब 09:18 बजे शुरू होगी. षष्ठी तिथि 19 नवंबर 2023 को सुबह करीब 07:23 बजे समाप्त होगी. इस पर्व का लोक से गहरा संबंध माना जाता है. इस समय भगवान के उदय और अस्त होने का समय दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. छठ पर्व सूर्य की पूजा के साथ-साथ छठी मैया को समर्पित दिन है.