जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 05 जुलाई, बुधवार को दोपहर 10:03 बजे से प्रारंभ होगी और 06 जुलाई, गुरुवार को 06:31 बजे तक रहेगी. उदया तिथि होने के कारण यह व्रत इसी दिन मनाया जाएगा. इस दिन प्रिति योग नाम का शुभ योग रहेगा.
इस विधि से करें चतुर्थी व्रत की पूजा
गुरुवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए. पूरे दिन संयमित रहकर व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए. शाम के समय घर में किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए. शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए भगवान गणेश की मूर्ति को माला पहनाएं और तिलक लगाना चाहिए. इसके बाद दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी आदि पूजन सामग्री एक-एक करके चढ़ानी चाहिए. इस दौरान ऊं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें. अंत में अपनी इच्छानुसार भोग लगाना चाहिए और आरती करनी चाहिए. इसके बाद चंद्रमा निकलने पर जल से अर्ध्य देकर स्वयं भोजन करते हुए व्रत को पूर्ण करना चाहिए.
भगवान श्रीगणेश की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी .
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा .
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी .
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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