चाणक्य नीतियों के अनुसार माता-पिता को अपने बच्चों में शुभ गुणों को अवश्य ही रखने चाहिए यही गुण बच्चों को भाग्य का सुख प्रदान करने वाले होते हैं. इन गुणों के द्वारा बुद्धि, शारीरिक शक्ति, अच्छा व्यवहार, सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
भगवान के प्रति समर्पण का भाव भी बच्चों में भर देने से जीवन के सुख उन्हें प्राप्त होते हैं. चाणक्य ने अपनी नीति पुस्तक में कहा है कि जो बच्चे सभी गुणों से संपन्न अपने माता-पिता के लिए सौभाग्य और समृद्धि लाते हैं. संतान की शिक्षा और चरित्र विकास पर दिया गया ध्यान माता-पिता के जीवन को भी सार्थक कर देने वाला होता है.
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आइये जानते हैं किन गुणों का विकास संतान को देता है सौभाग्य का सुख
समर्पण का भाव
आचार्य चाणक्य ने कहा है की बच्चों के भीतर भक्ति एवं अपनों के प्रति समर्पण को अवश्य जागृत करना चाहिए. चाणक्य के अनुसार भगवान के प्रति आस्था और भक्ति रखने वाले बच्चे को जीवन में खुश और संतुष्ट रहने में मदद मिलती है. इसके अलावा रिश्तों के प्रति प्रेम एवं सहयोग की भावना द्वारा चरित्र को उन्नति भी प्राप्त होती है.
संतान के लिए आध्यात्मिक मूल्यों और सिद्धांतों का बहुत महत्व होता है. बुद्धि, शारीरिक शक्ति, अच्छा व्यवहार, सौभाग्य और ईश्वर के प्रति समर्पण जैसे गुण संतान में होने से परिवार का सुख बना रहता है. माता-पिता ऎसे गुणों को भर देने पर बच्चे के जीवन में सफलता और समृद्धि सुनिश्चित कर सकते हैं,
ज्ञान का विकास
ज्ञान को किसी के भी जीवन में एक मूल्यवान संपत्ति माना जाता है. इसलिए बच्चे की बुद्धि और उसका ज्ञान उसे अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है. शारीरिक शक्ति भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्वस्थ रहने में मदद करती है और बच्चे हमें खेल और अन्य शारीरिक गतिविधियों में उत्कृष्टता प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं, ,
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बच्चों में अच्छा व्यवहार भी एक आवश्यक गुण है, जिसे जीवन में सफलता के लिए आवश्यक माना है, जो बच्चा दूसरों के प्रति सभ्य व्यवहार करता है उसे जीवन में बेहतर रिश्ते और अवसर मिलते हैं.