चाणक्य ने अपने ग्रंथ में बताया कि जवानी जीवन का ऐसा दौर है, जिसके आधार पर हमारा कल तय होता है. इसमें गलती की गुंजाइश नहीं होती, क्योंकि ये आगे सजा के रूप में हमें परेशान करती हैं. जानें उन चीजों के बारे में जिनसे अगर जवानी में दूरी न बनाई जाए, तो पछतावा ही हासिल होता है.
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियोंआचार्य चाणक्य एक ऐसे विद्वान रहे हैं, जिनमें अपनी बुद्धि और ज्ञान के जरिए पूरे शासन को पलटने की क्षमता थी. उनकी नीति के आधार पर एक साधारण सा बालक बड़े साम्राज्य का शासक बन पाया, जिसे हम चंद्रगुप्त मौर्य के रूप में जानते हैं. चाणक्य की बोली हुई बातें आज भी इतनी प्रासंगिक हैं कि इन्हें लागू करके जीवन को आसान बनाया जा सकता है. चाणक्य ने सामाजिक जीवन को ध्यान में रखकर कई बातें कही और लिखी और इन्हीं से चाणक्य नीति ग्रंथ बना.
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चाणक्य ने अपने ग्रंथ में बताया कि जवानी जीवन का ऐसा दौर है, जिसके आधार पर हमारा कल तय होता है. इसमें गलती की गुंजाइश नहीं होती, क्योंकि ये आगे सजा के रूप में हमें परेशान करती हैं. आज हम आपको उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे अगर जवानी में दूरी न बनाई जाए, तो पछतावा ही हासिल होता है. जानें इनके बारे में..
समय की बर्बादी: चाणक्य कहते हैं कि जवानी क्या जीवन के किसी भी दौर में समय की बर्बादी नहीं करनी चाहिए. उनके मुताबिक समय बहुत बलवान है और इसका महत्व न समझा जाए, तो हमें जीवन में आगे अनगिनत समस्याओं का सामना करना पड़ता है. समय की कीमत सफलता की कुंजी है.
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धन की बर्बादी : चाणक्य कहते हैं कि पैसे की बर्बादी या इसका महत्व न समझने जैसी भूल से हमें दूरी बनाए रखनी चाहिए. हम सभी जानते हैं कि पैसे का क्या महत्व है. आचार्य के अनुसार हमेशा पैसों की बचत करनी चाहिए, फिर चाहे आप कितने ही अमीर या गरीब क्यों न हो. ऐसा ही एक ऐप एकमात्र चीज है जो किसी भी वक्त आपके काम आती है l
आलस्य: चाणक्य नीति के अनुसार आलस्य व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन है. ये अगर किसी पर हावी हो जाए, तो उसे कामयाबी के लिए पूरे जीवन संघर्ष करना पड़ता है. जवानी के दौर में तो आलस्य जैसी आदत हमसे कोसों दूर रहनी चाहिए. हमेशा याद रखना चाहिए की आलस्य करने वाले व्यक्ति का तो भगवान भी साथ नहीं देता ।
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क्रोध: क्रोध इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है यह इंसान से ऐसे ऐसे काम करवा देता है जो वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकताये भाव हमें सीधे बर्बादी की ओर ले जाता है. ये सच है कि जवानी में क्रोध हम पर हावी रहता है, लेकिन इस पर काबू पाने वाला ही सफल कहलाता हैl