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जानिए आचार्य चाणक्य के दोस्ती के बारे में विचार

my jyotish expert Updated 02 Aug 2021 02:25 PM IST
जानिए , आचार्य चाणक्य के दोस्ती के बारे में विचार
जानिए , आचार्य चाणक्य के दोस्ती के बारे में विचार - फोटो : google
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आज फ्रेंडशिप डे (Friendship Day)  है , फ्रेंडशिप डे यानी दोस्ती (Friendship) और दोस्तों (Friends) का दिन । जन्म (Birth) के बाद हम सभी के रिश्ते अपने आप बन जाते हैं लेकिन दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता (Relation) होता है जो हर व्यक्ति (Person)  स्वयं चुनता है। बिना किसी मित्र (Friend) के जीवन (Life) में कोई स्वाद नहीं लगता। चाहे कितना ही अपने आप में रहने वाला व्यक्ति क्यों ना हो,  लेकिन हर किसी का कोई ना कोई मित्र(Friend)  तो अवश्य ही होता है।

हमारे भारतीय इतिहास ( Indian History ) में ऐसे कई ज्ञानी (Knowledgeable) और विद्वान लोग रहे हैं जिनकी नीतियों और शिक्षाओं को हमारे देश (Country) में लोग आज भी बहुत महत्व देते हैं और उनका पालन करते हैं। इन विद्वानों द्वारा दिए गए उपदेश आज भी इस आधुनिक युग ( Modern Era )  में बहुत काम आते हैं । प्राचीन काल से चाणक्य अपनी बुद्धिमानी (Wisdom)  और चतुराई (Cleverness) के लिए काफी विख्यात (Famous) है। चाणक्य को जीवन की, रिश्तो की और समाज (Society)  की  बड़ी समझदारी और  बहुत अनुभव (Experience)  हैं ।  ज्यादातर (Mostly) लोग उनकी नीतियों पर विश्वास (Trust) रखते हैं। दोस्ती एक ऐसा पवित्र (Holy)  रिश्ता है जहां मतलब और दिखावे का कोई स्थान नहीं होता है । दोस्ती तो यह निर्मल जल है जो बिन साबुन सारे दोष मिटा देती है। यहां प्यार (Love) , विश्वास  (Trust) व  एक दूसरे का साथ ना छोड़ना , दुनिया (World)  का सबसे अनमोल (Priceless)  रतन है । 
 
तो आज हम जानेंगे बुद्धिप्रतापी आचार्य चाणक्य के विचारों को। जिसे जानकर  आप अपने सबसे अच्छे मित्र चुन सकते हैं और मित्रता के दिखावे वाले लोगों से दूरी बना सकते है।

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 सच्चे मित्र की ये है पहचान
आचार्य चाणक्य का मानना है जो दोस्त (Friend)  आपके सुख-दुख में साथ निभाए वही सच्चा दोस्त है बाकी तो सब दुनिया की मोह माया है ।संकट के समय ही सच्चे मित्र की पहचान होती है । चाणक्य मानते हैं जो मित्र आपकी परेशानी में आपका साथ छोड़ देते हैं वह दोस्त कहलाने योग्य नहीं होते है, वह सिर्फ स्वार्थी लोग होते है। चाणक्य नीति में लिखा है अकाल पड़ने पर या घर में खाने की सामग्री ना होने पर जो आपकी मदद करे या आपको भोजन करवाएं वही आपका सच्चा मित्र है । यदि आप कभी किसी मुश्किल में फंसे हो या आप अपने दुश्मन से घिरे हुए  हो उस वक्त जो  आपकी परेशानी से आपको बाहर निकालने में आपकी सहायता करें वही आपका सच्चा मित्र है। आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर आप  किसी भयंकर रोग से ग्रसित हो उस समय जो मित्र आपकी  किसी भी प्रकार से  मदद करें या आप को सहानुभूति दें उसी को सच्चा दोस्त समझना चाहिए।
 
 ऐसे लोगों से बनाएं दूरी जो मित्रता के नाम पर हैं धोखे का एक रूप-
 आजकल लोग हर किसी को अपना समझ लेते हैं जरूरी नहीं जो आपसे अच्छे से बात कर रहा हो या आपकी बड़ाई कर रहा हो वह आपके पीछे भी आपकी तारीफ करें । ऐसे लोगों से दूर रहे जो मुंह पर कुछ और पीठ पीछे कुछ और होते हैं । चाणक्य का कहना है मित्र ऐसा चुनो जो बुराई आपके सामने करें लेकिन पीठ पीछे किसी गैर को मौका ना दें कि वो आप के खिलाफ बोल सके। कहां जाता है जैसी ' संगति वैसा असर '। अगर आपका मित्र कुसंगति में हो तो उसे बाहर निकालें अगर  फिर भी आपका मित्र नहीं मान रहा हो और लगातार उस कुसंगति में जी रहा हो तो आप  उस से दूरी बनाए  ले। साथ ही में उनसे भी दूरी बनाए रखें जो अपने माता-पिता का सम्मान ना करते हो क्योंकि जो अपने माता-पिता का सगा नहीं हो सका वो आपका क्या ही सगा होगा ।

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