खास बातें
Masik Shivratri 2024: इस साल सोमवती अमावस्या और ग्रहण से एक दिन पहले ही मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. शिवरात्रि का इस समय आना बहुत विशेः रहेगा. इस समय यदि महादेव का पूजन कर लिया जाए तो दूर होंगे सभी प्रकार के दोष.
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Chaitra Masik Shivratri 2024: वैदिक ज्योतिष एवं पंचांग अनुसार प्रत्येक माह में आने वाली मासिक शिवरात्रि के दिन शिव पूजन से सभी प्रकार की सुख समृद्धि प्राप्त होती है. किंतु इस बार अमावस्या और ग्रहण योग से पहले शिवरात्रि का पूजन कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाला होगा.
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चैत्र मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त योग
इस बार आने वाली मासिक शिवरात्रि महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस मासिक शिवरात्रि पर विशेष संयोग बन रहे हैं. इस समय पर इस बार शिवरात्रि के दिन पूजन करने से कई प्रकार के अशुभ फल होंगे समाप्त और मिलेगा शुभ प्रभाव. पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि 7 अप्रैल 2024 को सुबह 6:53 बजे से शुरू हो रही है और अगले दिन यानी 8 अप्रैल को सुबह 3:21 बजे समाप्त होगी. 7 अप्रैल के दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत एवं पूजन होगा.
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शिवरात्रि पूजन लाभ
शिवरात्रि की पूजा कई तरह से लाभ प्रदान करती है. पारिवारिक जीवन, करियर आदि में परेशानियों से बचना चाहते हैं तो यह पूजा शुभ होती है. इसके अलावा जीवन की कई समस्याओं का सामना हम कर रहे होते हैं. ऎसे में लगता है कि समय खराब चल रहा है उस स्थिति में तो भगवान शिव के पूजन से सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होनी संभव होती है. यह पूजन अत्यंत चमत्कारी और शक्तिशाली माना जाता है. शिवपुराण में शिवरात्रि की पूजा का उल्लेख किया गया है. मान्यता है कि यदि शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित किया जाए तो व्यक्ति को हर समस्या से मुक्ति मिल जाती है.चैत्र नवरात्रि कालीघाट मंदिर मे पाए मां काली का आशीर्वाद मिलेगी हर बाधा से मुक्ति 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
शिवरात्रि के दौरान भगवान शिव की पूजा करने की परंपरा है, पूजा विधान में जहां सुबह की पूजा विशेष है उसी ततह रात्रि पूजा भी विशेष होती है. शिवरात्रि के दिन भक्त गण चैत्र शिवरात्रि की पूजा निशिता मुहूर्त में भी करते हैं. पंचांग के अनुसार निशिता मुहूर्त में पूजा का शुभ समय 7 अप्रैल की रात 12 बजे से शुरू होगा और 12:45 तक रहेगा. इस समय पर भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय॥ ॐ नमो भगवते रूद्राय । धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
का जाप करना उत्तम होता है.
इस बार शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग, इंद्र योग बन रहे हैं शिवरात्रि में भद्रा सुबह 6:53 बजे से शाम 5:7 बजे तक रहेगी और पंचक भी रहेगा. ऎसे में शिवरात्रि पूजा का लाभ बहुत अधिक रहने वाला है. शिवरतरि पूजा में लिंगाष्टक का जाप मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है.
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लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् .
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥
देव मुनि प्रवरार्चित लिङ्गं काम दहं करुणा कर लिङ्गम् .
रावण दर्प विनाशन लिङ्गं तत् प्रणमामि सदा शिव लिङ्गम् ॥२॥
सर्व सुगन्धिसुलेपित लिङ्गं बुद्धि विवर्धन कारण लिङ्गम् .
सिद्ध सुरासुर वन्दित लिङ्गं तत् प्रणमामि सदा शिव लिङ्गम् ॥३॥
कनक महामणि भूषित लिङ्गं फणि पति वेष्टित शोभित लिङ्गम् .
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥
कुङ्कुम चन्दन लेपित लिङ्गं पङ्कज हार सुशोभित लिङ्गम् .
सञ्चित पाप विनाशन लिङ्गं तत् प्रणमामि सदा शिव लिङ्गम् ॥५॥
देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् .
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥
अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् .
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥
सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् .
परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥
लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ.
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥