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शनि के प्रभाव के कारण ही हर कोई शनि के गोचर पर नजर रखता है. जिस जातक की कुंडली में शनि लग्न भाव यानि प्रथम स्थान में होता है उसके लिए गोचर काल अत्यंत अलग फल होता है. इस दौरान शनि के मजबूत स्थिति में होने पर व्यक्ति को सभी सुख-सुविधाएं मिलती हैं और कई परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है. व्यक्ति के कार्यक्षेत्र का जीवन सुखी रहता है.
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यदि कुंडली में शनि ग्रह कमजोर है
यदि कुंडली में शनि की स्थिति शुभ नहीं है तो व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. धन संबंधी परेशानियां परेशान करती हैं और भौतिक वस्तुओं की कमी बनी रहती है. इसके अलावा काम के सफल होने की संभावना कम होती है और अचानक खर्चे बढ़ने लगते हैं, जिससे गरीबी का सामना करना पड़ सकता है. शनि के कमजोर होने से समाज में सम्मान कम होने लगता है अगर यह सब हो रहा है तो समझ लें कि कुंडली में शनि की स्थिति ठीक नहीं है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
रत्न शास्त्र में उपरत्न और रत्न दोनों का वर्णन मिलता है. ऎसे में शनि रत्न का चयन बहुत सावधानी से करना चाहिए नीले रंग के रत्न का संबंध शनि से आता है. शनि का मुख्य रत्न नीलम है, लेकिन नीले रंग के अन्य रत्न भी इस से संबंधित माने गए हैं. इसके लिए नीला पुखराज, या नीली रत्न भी पहन सकते हैं. इसमें नीलम के समान फल देने की क्षमता होती है. आइए जानते हैं नीले रत्न के फायदे और अन्य बातें
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इन राशियों के लोग धारण करें
नीला पुखराज वृषभ, तुला, मकर और कुंभ राशि के लोग पहन सकते हैं. क्योंकि मकर और कुंभ राशि के स्वामी स्वयं शनि देव हैं और वृषभ राशि के स्वामी शनि हैं. जो शनि के मित्र हैं. वहीं, अगर कुंडली में यह शुभ स्थिति में यानी उच्च स्थान पर है तो भी नीला पुखराज धारण किया जा सकता है. शनि के नीले रत्न का उपयोग जीवन में सुख एवं समृद्धि को प्रदान करता है. शनि के उपयोग द्वारा सभी प्रकार के लाभ भी व्यक्ति को प्राप्त होते हैं.