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Bhalchandra Ganesh: भालचन्द्र चतुर्थी, जानें कैसे मिला गणपति को भालचंद्र नाम

Acharyaa RajRani Updated 28 Mar 2024 11:05 AM IST
sankashti chaturthi
sankashti chaturthi - फोटो : google

खास बातें

Bhalchandra Ganesh: भालचन्द्र चतुर्थी, जानें कैसे मिला गणपति को भालचंद्र नाम 

lord ganesha names गणेश भगवान के सहस्त्र नामों में एक नाम भालचंद्र भी है. भाल चंद्र नाम के रुप में गणेश जी lord ganesh का पूजन होता है तथा भालचंद्र व्रत रखा जाता है. 
भालचंद्र पूजन को गणेश चतुर्थी को संकष्टी Sankashti Chaturthi के रुप में पूजा जाता है. 
 
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lord ganesha names गणेश भगवान के सहस्त्र नामों में एक नाम भालचंद्र भी है. भाल चंद्र नाम के रुप में गणेश जी lord ganesh का पूजन होता है तथा भालचंद्र व्रत रखा जाता है. 

भालचंद्र पूजन को गणेश चतुर्थी को संकष्टी Sankashti Chaturthi के रुप में पूजा जाता है. भालचंद्र मंत्रों का जाप किया जाता है.भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत bhalchandra sankashti chaturthi vrat के दिन bhagwan ganesh जी की पूजा की जाती है. 

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भाल चंद्र चतुर्थी Bhal Chandra से जुड़ी अनेक कथाएं हैं. कुछ मान्यताओं के अनुसार भालचंद्र नाम भगवान को चंद्र देव को अपने मस्तक पर धारण करने हेतु प्राप्त हुआ था. इस नाम के कारण ही गणपति जी Lord Ganesha को चतुर्थी तिथि Chaturthi Tithi के दिन भालचंद्र के रुप में पूजा जाता है.


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कैसे मिला गणपति को भालचंद्र नाम 

श्री गणेश पूजन भक्त श्रद्धा के साथ करते हैं. भगवान विघ्नहर्ता का पूजन अनेक नामों से किया जाता है. गणपती जी के सहस्त्र नामों में से एक नाम भालचंद्र गणेश भी है. bhagwan ganesh ji ki aarti में भी उनके इन मा का वर्णन मिलता है.

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मंत्रों में भी ॐ भालचंद्राय नमः मंत्र से गणपति जी के नाम को पुकारा जाता है. गणेश पूजन में भगवान के इस रुप का वर्णन कथाओं में प्राप्त होता है. भालचंद्र का अर्थ है जिसके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित हो. ऎसे में गणपति जी के भाल पर मस्तक पर चंद्रमा शोभायमान रहा है. 

गणेश जी का चंद्र को धारण करना 

शास्त्रों में कई कथाएं इस स्वरुप के लिए प्रप्त होती हैं. भगवान गणेश के इस रूप के बारे में गणेश पुराण में एक कथा है कि एक बार चंद्रमा ने आदिदेव गणपति का उपहास किया था. चंद्र देव के इस कृत्य के चलते भगवान गणेश ने उन्हें श्राप दिया था कि चंद्र देव का रुप भी हंसी का पात्र बनेगा. वह किसी को भी देखने के योग्य नहीं रहेंगे.

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ऎसे में चंद्र देव को अत्यंत पीड़ा होनी आरंभ ह गई. तब देवताओं के अनुरोध पर भगवान गणेश ने अपना श्राप केवल भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष चतुर्थी तक ही सीमित कर दिया. तथा उन्हें वरदान दिया कि प्रत्येक माह की कृष्णपक्ष चतुर्थी को आप मेरे साथ पूजे जाएंगे. चंद्र देव मेरे मस्तक पर स्थित होंगे. 

इस प्रकार चंद्रमा को मस्तक पर धारण करके गजानन भालचंद्र बन गये. भगवान गणेश के भालचंद्र रूप का पूजन जिस दिन होता है उस दिन चंद्र देव का भी पूजन किए जाने की प्रथा रही है. इस दिन चंद्र देव और गणपति का पूजन करने पर भक्तों को सुख शांति प्राप्त होती है. व्यक्ति का मन जितना शांत होगा, वह उतनी ही कुशलता से अपना काम कर पाएगा. अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दिमाग का शांत होना भी आवश्यक है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भालचंद्र रुप में गणेश जी और चंद्रमा का पूजन करने से दोनों का आशीर्वाद भक्तों को प्राप्त होता है. 

भालचंद्र मंत्र से दूर होते हैं कष्ट 
 भगवान गणेश के विभिन्न नामों में से एक नाम भालचंद्र भी है. भगवान श्री गणपति की पूजा भालचंद्र नाम से की जाती है. व्रत किया जाता है.गणेश चतुर्थी पर भालचंद्र पूजन को संकष्टी चतुर्थी के रूप में पूजा जाता है.भालचंद्र चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. धार्मिक कथा एवं मान्यताओं के अनुसार भगवान का नाम भालचंद्र इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने चंद्रदेव को अपने मस्तक पर धारण किया था. इसी के कारण भगवान गणेश को भालचंद्र के रूप में पूजा जाता है. भक्त भक्तिभाव से श्रीगणेश की पूजा करते हैं. 

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भगवान विघ्नहर्ता के मंत्रों में भी भगवान गणेश के इस नाम मंत्र  ॐ भालचंद्राय नम: मंत्र का जाप करने से कष्ट दूर होते हैं. गणेश पूजा में भगवान के इस स्वरूप का वर्णन कथाओं में मिलता है. 


 
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