Bhadrapada Amavasya
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अमावस्या तिथि का महत्व पितरों की शांति पाने का सबसे विशेष समय माना गया है. इसी आधार पर प्रत्येक माह के दौरान आने वाली अमावस्या का अपना खास प्रभाव होता है. अभी भादो का महीना चल रहा है तो भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भाद्रपद अमावस्या मनाई जाती है. भाद्रपद मास में अमावस्या तिथि को भाद्रपद अमावस्या के रुप में जाना जाता है. भाद्रपद अमावस्या की तिथि 14 सितंबर, गुरुवार को सुबह 04:48 बजे से आरंभ होगी ओर इसी के साथ शुरु होगा अमावस्या उपवास एवं स्नान दान का कार्य. भाद्रपद अमावस्या का स्नान और दान 14 सितंबर को ब्रह्म मुहूर्त से शुरू होगा. इस वर्ष की भाद्रपद अमावस्या साध्य योग और पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में होगी जो एक शुभ समय को दिखाती है.
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भाद्रपद अमावस्या कब मनाई जाएगी
शास्त्रों एवं पंचांग के अनुसार इस वर्ष भाद्रपद अमावस्या की तिथि 14 सितंबर दिन गुरुवार को प्रातः 04:48 बजे रहने वाली है. अमावस्या तिथि 15 सितंबर शुक्रवार को सुबह 07:09 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर भाद्रपद अमावस्या 14 सितंबर को मनाई जाएगी. भाद्रपद अमावस्या का स्नान और दान का समय 14 सितंबर को ही आरंभ होगा शुभ मुहूर्त से शुरू होगा. इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04:32 बजे से प्रातः 05:19 बजे तक रहेगा जो स्नान दान के लिए अति शुभ होगा. इसके पश्चात भी यह कार्य किए जा सकेंगे.
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पितरों के पूजन का समय भाद्रपद अमावस्या
पितृ पक्ष से पहले पितरों को प्रसन्न करने के लिए भाद्रपद अमावस्या आने वाली है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भाद्रपद अमावस्या मनाई जाती है. भाद्रपद अमावस्या को भादो अमावस्या भी कहा जाता है. इस बार भाद्रपद अमावस्या सितंबर माह में है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान किया जाता है. भाद्रपद अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं.
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भाद्रपद अमावस्या योग महत्व
इस वर्ष की भाद्रपद अमावस्या साध्य योग और पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में मनाई जाएगी. इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र सुबह से अगले दिन सुबह तक रहने वाला है.