खास बातें
Vaisakhi 2024 : लोक परंपराओं का एक ओर रंग जो बैसाखी के रुप में देश भर में दिखाई देता है. बैसाखी का त्यौहार एक महत्वपूर्ण पर्व है जो लोगों की खुशियों और उमंग के साथ जीवन के उत्साह का प्रतिक है. इस दिन को वैशाख माह के पहले दिन के रूप में भी मनाया जाता है तो वहीं फसलों की कटाई का पर्व भी है.significance of Baisakhi इस दिन जहां स्नान और दान का बहुत महत्व है. वहीं इस दिन को लोक गीतों के साथ प्रेम और नवजीवन के उत्साह के रुप में मनाया जाता है. आइये जान लेते हैं सिख धर्म की स्थापना से जुड़ा बैसाखी कैसे दुनिया भर को करता है अपनी ओर आकर्षित.
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बैसाखी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
कृषी प्रधान भारत देश में कृषी से जुड़ा कोई भी विशेष कार्य भी पर्व से कम नहीं माना जाता है. इसी के साथ वैसाखी भी कुछ ऎसा ही पर्व है जो रबी फसल के पकने का प्रतीक है. बैसाखी का त्योहार बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन लोग फसलों के पकने के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं. इसके अलावा हम अपने घरों में खास पकवानों का आनंद लेते हैं. ये त्योहार लोक जीवन से जुड़ा हुआ है. इससे जुड़ी कई अहम बातें भी हैं जो इस दिन को और भी अधिक विशेष बना देती हैं.कामाख्या देवी शक्ति पीठ में चैत्र नवरात्रि, सर्व सुख समृद्धि के लिए करवाएं दुर्गा सप्तशती का विशेष पाठ : 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024 - Durga Saptashati Path Online
बैसाखी 2024 का खास महत्व
धर्मों और क्षेत्रों की अपनी-अपनी मान्यताएँ होती हैं. सिख समुदाय के लिए भी यह दिन बहुत विशेष होता है. इनके लिए यह नए साल के शुरू होने का समय होता है. बैसाखी के नाम से इसे बडी़ धूम धाम से मनाते हैं. इसके साथ ही लोग अपने-अपने घरों में सरसों का साग और मक्के की रोटी समेत अन्य स्वादिष्ट भोजन व्यंजन भी बनाते हैं. यह दिन सिखों के लिए बहुत खास है. हर साल बैसाखी पूरे देश में बड़ी धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है. इसके अलावा गुरुद्वारों को सजाया जाता है, गुरुद्वारों में कीर्तन आदि किया जाता है. इसके अलावा जुलूसों को भी इस समय पर निकाला जाता है. जिसमें लोग बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं.चैत्र नवरात्रि कालीघाट मंदिर मे पाए मां काली का आशीर्वाद मिलेगी हर बाधा से मुक्ति 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024
खालसा की स्थापना का समय
इस दिन को सिख धर्म के लोग नये साल के रूप में मनाते हैं.. बैसाखी का त्यौहार वैशाख माह में मनाया जाता है जो हर साल अप्रैल माह में पड़ता है जिसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, साल 1699 में 13 अप्रैल को सिखों के दसवें और आखिरी गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. बैसाखी का त्यौहार बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. दसवें और अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने उच्च और निम्न जाति समुदायों के बीच भेदभाव को समाप्त कर दिया था. इस दिन के आस-पास सूर्य भी मीन राशि से मेष राशि में गोचर करता है. इस दिन को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. बैसाखी का त्योहार खुशियां मनाने का दिन है.हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर सर्व कल्याण हेतु कराएं 11000 मंत्रों का जाप और पाएं गृह शांति एवं रोग निवारण का आशीर्वाद 09 -17 अप्रैल 2024