खास बातें
Puja Vidhi of Bada Mangal आज है ज्येष्ठ माह का दूसरा मंगल। आज का दिन होने वाला है बहुत ही विशेष। दूसरा मंगल के दिन जरूर कर लें इस एक हनुमान स्त्रोत का जाप पूर्ण होंगे सब काम।
विज्ञापन
विज्ञापन
Bada Mangal 2024 Upay : बड़ा मंगलवार आपकी हर कामना को करता है पूर्ण। नहीं अधूरा रहता है कोई काम। मंगलवार के दिन बड़ा मंगल पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण। आइये जान लेते हैं ज्येष्ठ माह के दूसरे बड़े मंगल के दिन कौन सा स्त्रोत दिलाएगा आपको सफलता।
ज्येष्ठ माह का दूसरा बड़ा मंगल 2024
हनुमान जी की पूजा का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। कहते हैं कलयुग में सभी दुखों को दूर कर देने वाले हैं हनुमान जी। ऎसे में मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा का फल अधिक मिलता है। बड़ा मंगल होने पर भक्तों के कष्ट दूर होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि हनुमान जी भगवान शिव के स्वरुप हैं और मंगल ग्रह के देवता हैं। ऎसे में बड़ा मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा से समस्त प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
हनुमान तांडव स्त्रोत करेगा हर संकट दूर
बड़ा मंगल का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी इस दिन हनुमान जी की पूजा करता है, उस भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी के स्तोत्र का पाठ करने से दुखों से मुक्ति मिलती है। हनुमान स्तोत्र पाठ की विधि अनुसार बड़ा मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाना चाहिए तथा हनुमान जी के सामने इस पाठ को करना चाहिए।बड़ा मंगल हनुमान पूजा Puja Vidhi of Bada Mangal
आज ज्येष्ठ मास का दूसरा मंगलवार है। ये दिन बहुत ही खास होने वाला है। दूसरे अशुभ दिन इस हनुमान स्त्रोत का जाप जरूर करें, आपके सभी काम पूरे होंगे। बड़ा मंगलवार आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करता है। कोई भी काम अधूरा नहीं रहता। मंगलवार के दिन बड़ा मंगल पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हनुमान जी की पूजा का महत्व बहुत अधिक माना जाता है।शास्त्रों में हनुमान जी कलयुग में सभी दुखों को दूर करने वाले हैं। ऐसे में मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा अधिक फल देती है। बड़े मंगल के दिन भक्तों के संकट दूर होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि हनुमान जी भगवान शिव का स्वरूप हैं और मंगल ग्रह के देवता हैं। ऐसे में बड़े मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी तरह के सुख प्राप्त होते हैं।
श्रीहनुमत्ताण्डवस्तोत्रम्:
भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम् ।
सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम् ॥ १॥
सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न ।
इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥ २॥
सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ ।
कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम् ॥ ३॥
सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम् ।
प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः ॥ ४॥
प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत् ।
विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम् ॥ ५॥
नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम् ।
सुपुच्छगुच्छतुच्छलंकदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम् ॥ ६॥
रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम् ।
विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम् ॥ ७॥
नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः ।
सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम् ॥ ८॥
इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः
कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः ।
प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा
न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह ॥ ९॥
नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे ।
लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥ १०॥
ॐ इति श्री हनुमत्ताण्डव स्तोत्रम्॥
ज्योतिषाचार्यों से बात करने के लिए यहां क्लिक करें- https://www.myjyotish.com/talk-to-astrologers