कुछ जातक होते हैं जिनको ससुराल से बहुत सहयोग प्राप्त होता है। जैसे कि व्यापार, रोजगार। कहा जा सकता है कि ससुराल पक्ष का इतना सहयोग भाग्योदय कर देता है।
* कुंडली के सातवें भाव से ससुराल का विचार होता है। यदि सातवें भाव तथा इसके स्वामी कोई शुभ योग बनाता है उस स्थिति में ससुराल अच्छा मिलता है। इसके अलावा यदि सातवें भाव और इसके स्वामी का संबंध ग्यारहवें भाव जो कि लाभ का भाव होता है या किसी अतिरिक्त भाव से शुभ स्थिति बनती है तो ऐसे में बहुत अच्छी ससुराल की प्राप्ति होती है। दूसरा/ग्यारहवा/ नवा/केंद्र-त्रिकोण यह सब भाव लाभ देने वाले घर हैं। जब सातवें भाव का सबंध इन भावों से शुभ स्थिति बनाता है तो बहुत सम्पन्न ससुराल मिलती है।
जितना शुभ योगों सहित सातवें घर या सातवें घर के स्वामी का संबंध विशेष रूप से नौवें, गयारहवें तथा दूसरे घर से बनाया है ससुराल से उतना ही ज़्यादा प्राप्त होता है। इन्हीं संबंधों में दसवें घर का संबंध हो तो ऐसी स्थिति में ससुराल वालों के सातब रोजगार आदि में भी उन्नति होती है।
अब तक जाना कि कैसी ससुराल मिलेगी। साथ ही इसके विपरीत जब अशुभ प्रभाव सातवें घर पर होगा या इसके स्वामी पर सप्तमेश पर जैसे कि शनि, राहु, केतु की दृष्टि हो या सातवें घर मे यह ग्रह पीड़ित करके सातवें घर मे बैठे या छठे/आठवे/बारहवे घर के स्वामियों पर प्रभाव पड़े या सातवे घर या इसके स्वामी पर ओरभाव डाले तब आम सी ससुराल मिलती है। ऐसी स्थिति में शुभ प्रभाव यदि सातवें घर पर न हो और केवल इन्ही अशुभ भावो के स्वामियों सहित, पाप ग्रह जैसे शनि, राहु, केतु, मंगल का अशुभ प्रभाव सातवे घर पर हो तो ससुराल खराब मिलती है। ससुराल पक्ष की ओर से ऐसी स्थिति में दिक्कतें हो सकती हैं।
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किस प्रकार की मिलेगी ससुराल
- मेष लग्न की जन्मकुंडली अनुसार शुक्र सातवे घर का स्वामी होता है। यदि शुक्र बलवान होकर नौवें घर के स्वामी गुरु के साथ गयारहवें घर मे बैठे तो ससुराल अच्छी मिलती है।इसी संबंध में चन्द्रमा जो चौथे घर का स्वामी है वह भी सप्तमेश शुक्र और भाग्येश गुरु के साथ ग्यारहवें घर मे बैठेगा तब सोने पर सुहागा हो जाता है। ससुराल बहुत अच्छी मिलती है तथा ससुराल से सम्मान और प्रेम भी भरपूर मिलता है। यदि यह स्थिति किसी पुरूष की कुंडली में होती है तो ससुराल से मकान, गाड़ी का सुख, रोजगार में सहयोग, अपने घर से भी ज्यादा अच्छा सम्माम ससुराल में होता है।
- वृष लग्न के जन्मकुंडली में सप्तमेश मंगल होता है और यदि वो यहाँ ग्यारहवें घर के स्वामी गुरु के साथ चौथे भाव मे बैठ जाये तो ससुराल से पूर्ण राजयोग मिलता है। ससुराल से वाहन सुख आदि भी मिलता है। यदि दूसरे घर का स्वामी भी इससे संबंध योग कर ले तो धनवान ससुराल में शादी होना तय है।
- कन्या लग्न के जन्मकुंडली में सप्तमेश गुरु होता है। गुरु यहाँ सातवें घर मे कन्या लग्न के धनेश और भाग्येश शुक्र के साथ सातवें घर मे ही यदि बैठता है और यदि किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव गुरु पर न पड़े तो बहुत अच्छी ससुराल मिलेती है। इसके आगे जितने ज्यादा शुभ भावपति ग्रहों का संबंध बने उतना ही अच्छी स्थिति हो जाएगी। जैसे कन्या लग्न में ही यदि सातवे घर मे शुक्र गुरु के साथ गयरहवें घर का स्वामी चन्द्र भी आकर बैठ जाये या किसी तरह से संबंध बनाये तब पूर्ण भाग्योदय ससुरालियों के सहयोग से ही होगा। साथ ही ससुराल से बहुत कुछ मिलेगा जिसकी जातक या जातिका ने कल्पना भी नहीं की हो उस प्रकार का सहयोग मिलेगा।।
- इस तरह की उपरोक्त लाभकारी स्थिति तब बनती है जब ग्यारहवें, नौवें या दूसरे का संबंध सातवें घर से जितना ज्यादा शुभ और शक्तिशाली स्थिति में बनेगा उतनी ही अच्छी ससुराल मिलेगी।
- शुक्र और गुरु ससुराल के कारक हैं। यह दोनों का उपरोक्त योग यदि अच्छा हो तो स्थिति बड़ी लाभकारी होती है ससुराल पक्ष की ओर से। यदि ससुराल को लेकर ऐसी स्थिति लग्न कुंडली मे न हो और नवमांश कुंडली में हो तो भी ससुराल पक्ष से अच्छे परिणाम मिलते हैं
- विशेष - जब अशुभ या क्रूर ग्रहों का प्रभाव सातवें भाव पर या इसके स्वामी पर होगा तो ससुराल से सिर्फ दुखद परिणाम या अशुभ परिणाम ही मिलते हैं। लेकिन इस स्थिति के साथ में यदि नौवें, ग्यारहवें और दूसरे भावों के स्वामियों के प्रभाव सातवे घर पर अच्छे हों तो सम्पन्न ससुराल मिलता है। सहयोग कैसे और कितना रहेगा यह निर्भर करता है किप्रभाव कितना तथा अशुभ प्रभाव की मात्रा कितनी है। इस तरह से ससुराल अच्छी मिल जाना भी जातक या जातिका को भाग्यशाली बना देता है।
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