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क्यों जरूरी है कुलदेवी का आशीर्वाद ?

Myjyotish Expert Updated 11 Feb 2021 12:59 PM IST
Kuldevi Poojan
Kuldevi Poojan - फोटो : Myjyotish
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कुलदेवी की कृपा का अर्थ होता है सौ सुनार की एक लोहार की। बिना कुलदेवी कृपा के किसी के कुल का वंश ही क्या कोई नाम, यश आगे बढ नहीं सकता । 

लोग भावुक होकर अथवा आकर्षित होकर कई साधनायें तो करते हैं पर वो जानते नहीं की जब आप अपनी कुलदेवी को पुकारे बिना किसी भी देवी देवता की साधना करते हैं तो वह साधना कभी यशस्वी नहीं होती। उलटा कुलदेवी का प्रकोप अथवा रुष्टता और ज्यादा बढ़ती है। 

दक्षिण और महाराष्ट्र में आज भी कुछ परंपराएं हैं जिनमें घर में कुलदेवी के रूप में सुपारी अथवा प्रतिमा का पूजन करना, घर से बहार लंबी यात्रा हो तो कुलदेवी को पहले पुकारना, साल में दो बार कुलदेवी पर लघुरूद्र अथवा नवचंडी करना आदि किआ जाता है। हर घर की एक कुलदेवी होती हैं। आज भारत में 70% परिवार अपनी कुलदेवी को नहीं जानते। कुछ परिवार बहुत पीढ़ियों से कुलदेवी का नाम तक नहीं जानते । इसके कारण, एक निगेटिव दबाव उस घर के कुल के ऊपर बन जाता है और अनुवांशिक तकलीफें पैदा होती हैं। 

बहुत जगहों पर देखा जाता है कि

1. कुलदेवी की कृपा के बिना अनुवांशिक बीमारी पीढ़ी में आती है। एक ही बीमारी के लक्षण सभी लोगों में दिखते हैं। 

2. मनासिक विकृतियाँ परिवार में आना। 

3. कुछ परिवार एय्याशी की ओर इतने मुखर हो जाते है कि सबकुछ गवा देते हैं। 

4. बच्चे गलत मार्ग की ओर भटक जाते हैं 

5. शिक्षा में अड़चनें आती है। 

6. परिवार में सभी बच्चे अच्छे पढ़ते हैं फिरभी नौकरी ठीक नहीं मिलती। 

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7. कभी कभी किसी के पास पैसा बहुत होता है पर मनासिक तकलीफों समाधान नहीं होता है। 

8. यात्राओं में अपघात होते हैं अथवा यात्रा अधूरी रह जाती है। 

9. बिजनेस में ग्राहक पर प्रभाव नहीं बनता अथवा आवश्यक स्थिरता नहीं आती। 

10. विदेशों में बहुत भारतिय बसे हैं। उनके पास पैसा होकर भी कोई न कोई अड़चन आती रहती है।

यह विघ्न आप किसी ध्यान अथवा किसी दस महाविद्या के मंत्रो से दूर नहीं कर सकते। आजकल ये महाविद्याओं की साधनायें कोई विधिपूर्वक करता नहीं है। सभी मंत्र दे देते हैं। उसका फल यह मिलता है कि वो साधक ऐसे विघ्न में फस जाता है जहां से उबरना मुश्किल हो जाता है। आजकल बड़ी बड़ी शिविरों में हम यही माहौल देखते हैं। इसलिए, कोई भी महाविद्या के प्रति आकर्षित होने से पहले अपने कुलदेवी को पुकारें। 

वरना अगर आज नहीं तो कल की पीढ़ी के लिए बहुत दिक्कतें होगी। कइ मानते हैं कि अगर वे श्रीनाथ जी जाते हैं। तिरुपती जाते हैं। चारधाम जाते हैं, शिर्डी जाते हैं। साल में एक दो बार दर्शन करते हैं। इससे कुलदेवी प्रसन्न नहीं होती । बल्कि वो शक्तियाँ भी आपको यही कहेंगी की पहले अपने माँ बाप को याद करो फिर मेरे पास आओ। 

कुलदेवी के रोष से कई संस्थान, राजवाड़े, महाराजे खत्म हो जाते हैं। कई परिवारों के वंश नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कुलदेवी का पूजन पहले करें।


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