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विशाखापट्टनम में संपन्न हुआ सम्मेलन, इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज ने की पदाधिकारियों की घोषणा

माई ज्योतिष नेटवर्क। Updated 17 Feb 2021 05:46 PM IST
ज्योतिष सम्मेलन में मौजूद सभी विद्वान।
ज्योतिष सम्मेलन में मौजूद सभी विद्वान।
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विशाखापट्टनम के गीतम विश्वविद्यालय के सभागार में दुनिया की सबसे बड़ी ज्योतिष संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज की बैठक बीते रविवार को संपन्न हुई। इस दौरान अगले तीन वर्ष के लिए पदाधिकारियों की घोषणा की गई। साथ ही एक ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।

सम्मेलन के दौरान चौथी बार संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने श्री शुक्ला ने विभिन्न शहरों में 11 खंड खोलने की घोषणा की, जहां ज्योतिष प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा। अब कुल मिलाकर 60 से अधिक केंद्र हो जाएंगे। हिंदी क्षेत्रों में गोरखपुर में अजय कुमार गौतम, लखनऊ में एस. के. मिश्रा व कलकत्ता में नीरज अग्रवाल ज्योतिष प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करेंगे।

ज्योतिष सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए गोवा के निवर्तमान मुख्य सचिव परिमल राय ने कहा कि ज्योतिष के क्षेत्रों में विद्वानों को वेदों की स्थापनाओं को समाज के विकास में प्रयुक्त करना चाहिए। वर्ष 2020 में पूरे विश्व ने एक अघोषित सा युद्ध झेला है, जिसने अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद कर दिया और वस्तुओं का अभाव हो गया।

उन्होंने कहा कि ज्योतिषियों को सरकार की मदद के लिए भी भविष्यवाणियों का उपयोग करना चाहिए। महामारी के दौरान जो ऑनलाइन शिक्षा दी गई है उसमें परस्पर विमर्श के तत्व का अभाव रहा है तथा परंपरागत शिक्षा पद्धति का उपयोग नहीं हो पाया है। यह कक्षाओं में ही संभव हो पाता है।

काउंसिल के नवनियुक्त अध्यक्ष ने बताया कि वेदों को समझने के लिए संस्कृत अनिवार्य है। यह संस्था वैदिक शोध व अनुवाद पर ध्यान केंद्रित कर रही है। गीतम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एम सिद्धार्थ ने बताया कि यह संस्था स्वेच्छा नाम का स्कूल प्रारंभ कर रही है जिसमें बच्चों का भविष्य संवारा जाएगा।

ज्योतिष सम्मेलन में कानपुर के भोलानाथ शुक्ला व रमेंश चिंतक, दिल्ली से प्रदीप चतुर्वेदी, रोहित वेदी, फरीदाबाद से परशुराम वरिष्ठ, बेंगलुरु से गायत्री देवी वासुदेव, बेंगलुरु से ही नरसिंह आलसे, उदयपुर से आरपी शर्मा, जयपुर से जगदीश तिवारी, अलवर से राजेंद्र प्रसाद शर्मा, चंडीगढ़ से अनिल कौशिक, दिल्ली से एम. अंजनेयुलु,आशीष शर्मा, नवनीत कौशिक व जयपुर से वास्तु विद्वान पंडित सतीश शर्मा उपस्थित रहे। 
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