सावन शिवरात्रि पर 11 ब्राह्मणों द्वारा 11 विशेष वस्तुओं से कराएं महाकाल का सामूहिक महारुद्राभिषेक एवं रुद्री पाठ 2023
भैरव एवं राहु केतु शांति के लिए अष्टमी का दिन बहुत उपयोगी माना गया है. इस समय के दौरान भक्तों के समस्त कष्टों को दूर कर देते हैं. अष्टमी देवी दुर्गा एवं भैरव पूजा से संबंधित माना गया है. जब हम इस दिन इनकी पूजा करते हैं तो कई तरह की नकारात्मकाएं हमसे दूर होने लगती हैं. वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह और भ्रम का कारक ग्रह माना जाता है. ये जिस भी ग्रह के साथ होते हैं उसका प्रभाव कई गुना बढ़ा देते हैं. इन्हें नकारात्मक माना जाता है, इसीलिए किसी भी कुंडली को देखते समय सबसे ज्यादा राहु और केतु पर ही विचार किया जाता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु-केतु अशुभ हो तो उस व्यक्ति का पूरा जीवन व्यर्थ चला जाता है. अब इन दोनों ग्रहों को यदि नियंत्रित करना हो तो देवी के पूजन के साथ भैरव पूजन को करना अनुकूलता से पूर्ण परिणामों को देने वाला कहा जाता है.
पाप ग्रहों की शांति हेतु करें ये उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ये दोनों ग्रह अशुभ हों तो भैरव की शरण में जाना चाहिए या फिर देवी का पूजन करना चाहिए. इसके अलावा अधिकमास के समय आने वाली अष्टमी को भी बहुत उत्तम माना गया है शास्त्रों में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से ग्रह शांति होती है. भक्तों के सभी कष्ट तुरंत दूर कर देते हैं. आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में : -
अष्टमी के दिन उड़द दाल के पापड़ या पकौड़े बना कर इन्हें भैरव को अर्पित कर वहीं मंदिर में रख देना चाहिए. भगवान के लिए बनाए गए इस भोग को प्रसाद के रूप में गरीबों में भी बांटा जा सकता है. इस दिन पर दुर्गाकवच का पाठ करना चाहिए या फिर भैरव आरती जरूर करें.
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अष्टमी के दिन जलेबी का भोग भगवान भैरव एवं देवी दुर्गा को लगाना चाहिए.
अष्टमी के दिन असपास के आवारा कुत्तों को कुछ खाने की वस्तु जरुर खिलाएं. ऎसा करने से समस्या तुरंत हल हो जाती हैं.