Pradosh Vrat
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हर माह की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत का महत्व सुख शांति एवं समस्त प्रकार के दोषों से मुक्ति के लिए होता है. त्रयोदशी तिथि को रखा जाने वाला यह व्रत समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला होता है.
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इस बार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को दोनों समय प्रदोष व्रत का पूजन होगा. पहला प्रदोष कृष्ण पक्ष में रखा जाएगा. 12 अक्टूबर 2023 के दिन गुरु प्रदोष व्रत का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है तथा समस्त शिव परिवार का पूजन होता है.
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आश्विन मास प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
इस बार आश्विन मास का पहला प्रदोष व्रत 12 अक्टूबर में गुरु वार के दिन मनाया जाएगा. गुरु वार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है. गुरुवार होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की तिथि, समय और महत्व के बारे में कुछ जरूरी बातें.
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आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि
11 अक्टूबर को शाम 17:38 बजे शुरू होगी और अगले दिन 12 अक्टूबर को शाम 19:54 बजे समाप्त होगी. ऐसे में व्रत 12 अक्टूबर को पड़ रहा है इसलिए इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
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प्रदोष पूजा महत्व
मान्यता है कि प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को शिव कृपा प्राप्त होती है. प्रदोष व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. सच्चे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. जीवन में यश, सौभाग्य, धन और समृद्धि बढ़ाता है.
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प्रदोष मंत्र
प्रदोष व्रत के दौरान शाम के समय शुभ समय पर पूजा करना लाभकारी होता है.प्रदोष पूजा के समय मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान शिव के मंत्र जाप करने से भक्तों के समस्त दुख दर्द दूर होते हैं. प्रदोष पूजा में ॐ नमः शिवाय॥ तथा ॐ नमो भगवते रूद्राय । मंत्र का जाप करना शुभ होता है.
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12 अक्टूबर को शिव पूजा का शुभ समय सुबह 06:04 बजे से रात 8:30 बजे तक है. अगर आप प्रदोष व्रत करते हैं तो आपको इस शुभ मुहूर्त के अनुसार शाम के समय बेलपत्र, गंगाजल, गाय का दूध, मदार, फूल, भांग, सफेद चंदन आदि से शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.