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Ashwin Amavasya 2023: पितृ अमावस्या, जानें स्नान दान की इस अमावस्या का महत्व

Acharyaa RajRani Updated 11 Oct 2023 10:07 AM IST
Ashwin Amavasya 2023
Ashwin Amavasya 2023 - फोटो : my jyotish
आश्विन माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या के रुप में मनाया जाता है. यहश्राद्ध पक्ष की अमावस्या होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर किसी को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि नहीं पता है वह सभी इस दिन अपने पूर्वजों का श्राद्ध करके उनकी शांति की कामना करके शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं. इसी कारण आश्विन मास की अमावस्या के दिन सभी पितृ कार्य पूर्ण किये जाते हैं. इस दिन वे लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं जिनके पूर्वजों की तिथि अमावस्या है और इसके अलावा जिन लोगों की तिथि ज्ञात नहीं है उन सभी लोगों का तर्पण कार्य भी इस दिन किया जा सकता है.

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आश्विन अमावस्या पूजन मुहुर्त समय 
आश्विन अमावस्या का समय 14 अक्टूबर 2023 को समाप्त होगा. आश्विन अमावस्या तिथि 13 अक्टूबर 2023 को रात 21:51 बजे शुरू होगी और आश्विन अमावस्या तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात 23:25 बजे समाप्त होगी. इस बार आश्विन अमावस्या तिथि का दिन कई मायनों में खास रहेगा. इस दिन शनिवार होने से यह अमावस्या अत्यंत शुभ रहेगी और विशेष फल प्रदान करेगी. शास्त्रों के अनुसार शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस दिन की गई पूजा बेहद खास होती है. इस दिन स्नान और दान से जुड़े कार्य करने से कई गुना शुभ फल मिलता है.
  
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शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिश्चरी अमावस्या का समय बहुत अच्छा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कोई व्यक्ति शनि के अशुभ प्रभाव से पीड़ित है. यदि जीवन में शनि की महादशा और शनि साढ़ेसाती आदि का प्रभाव झेलना पड़ रहा है तो ऐसी स्थिति में शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन शनि संबंधी पूजा और दान-पुण्य करने से शनि के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है. व्यक्ति को शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है.

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 श्राद्ध अमावस्या महत्व 
पौराणिक कथाओं के आधार पर सर्प पितृ अमावस्या के दिन किया गया तर्पण कार्य पितरों को शांति प्रदान करता है. गरुण पुराण के अनुसार पितृ दोष से बचने के लिए जो व्यक्ति अमावस्या के दिन अपने पितरों के प्रति दान और तर्पण आदि करता है उसे निश्चित ही पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इसलिए, इस दिन किए जाने वाले श्राद्ध कर्म को महालया श्राद्ध कहा जाता है.
 
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