Ashadha Gupt Navratri 2023: कब पड़ेगी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि, जानें 10 महाविद्या की पूजा विधि औ
- फोटो : google
हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा के लिए नवरात्रि के 09 दिनों को बहुत ज्यादा शुभ माना गया है, यही कारण है कि माता के भक्तों को उनकी पूजा के लिए इसका हमेशा इंतजार बना रहता है. देवी पूजा का यह पर्व साल में कुल चार बार आता है. जिसमें पहली नवरात्रि चैत्र मास के शुक्लपक्ष में तो दूसरी नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में पड़ती है. इसके बाद तीसरी अश्विन महीने में और आखिरी नवरात्रि माघ मास में पड़ती है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
हिंदू मान्यता के अनुसार इन चार नवरात्रि में दो नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा सार्वजनिक रूप से और दो की पूजा गुप्त रूप से की जाती है. आषाढ़ मास मास में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि कब से शुरु होगी? गुप्त नवरात्रि में देवी पूजा के लिए कब किया जाएगा कलश पूजन? आइए कलश पूजन का शुभ मुहूर्त और 10 महाविद्या की पूजा का महत्व विस्तार से जानते हैं.
गुप्त नवरात्रि में कलश पूजन का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में मनाया जाने वाला गुप्त नवरात्रि का पर्व इस साल
19 जून 2023 से प्रारंभ होगा. पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि
18 जून 2023 को प्रात:काल 10:06 बजे से प्रारंभ होगी और
19 मई 2023 को प्रात:काल 11:25 बजे समाप्त होगी.
पंचांग के अनुसार गुप्त नवरात्रि की पूजा के लिए कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून 2023 सोमवार को प्रात:काल 05:23 से 07:27 बजे तक रहेगा. इसके अलावा कलश की स्थापना अभिजित मुहूर्त में घटस्थापना अभिजित मुहूर्त में सुबह 11:55 से लेकर दोपहर 12:50 बजे तक की जा सकती है.
गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार चैत्र और अश्विन नवरात्रि में जहां शक्ति के 09 पावन स्वरूपों की पूजा का विधान है, वहीं गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के 10 दिव्य स्वरूप यानि मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला की पूजा की जाती है.
शक्ति की साधना में इन सभी 10 महाविद्या की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में इन देवियों की गुप्त रूप से साधना करने पर साधक की बड़ी से बड़ी मनोकामना पलक झपकते पूरी होती है.
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
कैसे करें आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि पर देवी की पूजा करने के लिए साधक को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. इसके बाद तन और मन से पवित्र होकर शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर देवी की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें और उसे गंगा जल से पवित्र करें.
देवी की विधि-विधान से पूजा प्रारंभ करने से पहले मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें और पूरी नवरात्रि जल का उचित मात्रा में छिड़काव करते रहें. इसके बाद माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाकर दुर्गासप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें.