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अनंत भगवान के किया अनेक रुपों का निर्माण
स्वयं को चौदह रूपों में प्रकट जब किया प्रभु ने तब इस घटना को अनंत चौदस के नाम से भी जाना गया. हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का महत्व महत्वपूर्ण है. यह त्यौहार गणेश विसर्जन के समय का भी होता है. इस शुभ दिन पर सुखों को प्रदान करने वाले प्रभु के रुप में अनंत देव की पूजा हर घर में की जाती है. यह त्यौहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में आता है. अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला और अनंत फल देने वाला माना जाता है.
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अनंत चतुर्दशी पूजा विधि
इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. धर्म शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन उनसे अनंत खुशियों का आशीर्वाद भी लिया जा सकता है. इस दिन भगवान विष्णु को 14 गांठ वाला अनंत सूत्र चढ़ाया जाता है और फिर उनके आशीर्वाद से इसे बांह में पहना जाता है. इससे आपके जीवन में हर तरह की सुख-समृद्धि आती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन किसी रोग से छुटकारा पाने, घर से क्लेश दूर करने, धन-संपदा और सुख-समृद्धि बढ़ाने के लिए व्रत किया जाता है.
इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है. मान्यता है कि 10 दिनों तक मन, वचन, कर्म और भक्ति से उनकी पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन किया जाता है.
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इस दिन किसी रोग से छुटकारा पाने, घर से क्लेश दूर करने, धन-संपदा और सुख-समृद्धि बढ़ाने के लिए व्रत किया जाता है. इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है. मान्यता है कि 10 दिनों तक मन, वचन, कर्म और भक्ति से उनकी पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन किया जाता है.
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की मूर्तियों को पानी, नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाता है. यह गणेश चतुर्दशी के दिन का एक अनिवार्य हिस्सा है