Amla Navami
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कार्तिक माह में आने वाले विभिन्न त्यौहारों मे से एक है आंवला नवमी. आंवला नवमी का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. इसे कई नामों से जाना जाता है. इस दिन को स्वास्थ्य सुख एवं सौभाग्य के सुख की प्राप्ति का समय माना गया है.
यह अक्षय नवमी के रुप में शुभ कर्मों में वृद्धि प्रदान करती है. आंवला नवमी के दिन किए गए धर्म, जप, तप और दान से दुखों आदि से मुक्ति मिलती है. आंवला नवमी के दिन श्री विष्णु पूजन होता है ओर साथ में आंवले के वृक्ष की पूजा उपासना की जाती है. इस दिन कई तरह के कार्य किए जाते हैं, जिन्हें करने से हर मनोकामना पूरी होती है और अगले जन्म तक अक्षय फल मिलता है.
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आंवला नवमी
इस दिन भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करें. ऐसा माना जाता है कि आंवले का वृक्ष सृष्टि की रचना के लिए भगवान ब्रह्मा के आंसुओं से उत्पन्न हुआ था और इसे पृथ्वी का पहला फल माना जाता है. इसलिए भगवान की पूजा करते समय आंवले का भोग अवश्य लगाना चाहिए. 21 नवंबर को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा.
इस दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06: 48 मिनट से आरंभ होकर संपूर दिन में व्याप्त रहेगा. इस दिन पूजा के लिए शुभ योग समय प्राप्त होगा. उस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक है. आंवला नवमी के दिन रवि योग और पंचक भी होगा. ऎसे में यह समय पूजा हेतु अत्यंत ही विशेष बन जाएगा.
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आंवला नवमी पूजा महत्व
आंवला नवमी है. आज आंवले के पेड़ की पूजा करके परिवार के लिए स्वास्थ्य और सुख-सौभाग्य की कामना की जाती है. इस दिन कुछ खास धार्मिक कार्य करके घर का सुख-सौभाग्य वृद्धि को पाता है. इस शुभ दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा मुख्य होती है. मान्यताओं के अनुसार इस वृक्ष के पत्तों में स्वयं श्री हरि विराजमान होते हैं. ऎसे में इस दिन पूजा करने आंवले के दर्शन करने से अक्षय लाभ मिलता है.
इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए इसके अलावा इस दिन नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाकर पूरे परिवार के साथ खाना चाहिए. यदि खाना खाते समय आंवले का पत्ता गिर जाए तो इसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद माना जाता है.