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Amavasya 2023: कब है अमावस्या? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

my jyotish expert Updated 16 Jun 2023 03:40 PM IST
Amavasya 2023: कब है अमावस्या? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Amavasya 2023: कब है अमावस्या? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व - फोटो : google
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हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व होता है और अमावस्या तिथि आने वाली है. अमावस्या का समय पितरों के आशीर्वाद को पाने का सबसे श्रेष्ठ समय माना गया है. इसलिए इस दिन पर किए जाने वाले अधिकांश धार्मिक कार्यों में पितरों की शांति को लेकर बात कहीं जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं कब है अमावस्या की तिथि जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में जिसके द्वारा प्राप्त किया जाए पितरों का आशीष

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अमावस्या तिथि समय और धार्मिक कार्य 
पंचांग के अनुसार एक वर्ष में कुल 12 अमावस्याएं पड़ती हैं. इन्हीं में से एक है आषाढ़ अमावस्या, जिसकाधर्म में काफी महत्व बताया गया है. आषाढ़ अमावस्या तिथि का प्रारंभ समय 17 जून, शनिवार को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर होगा और अमावस्या तिथि का समापन समय 18 जून, रविवार को सुबह 10:06 बजे पर होगा. इस कारण से 17 जून को दर्श अमावस्या और 18 जून को आषाढ़ अमावस्या मनाई जाएगी, दोनों में अंतर तिथि उदय को लेकर ही होगा. दर्श अमावस्या, 17 जून पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 10 बजकर 11 मिनट से 11 बजकर 7 मिनट तक होगी 
आषाढ़ अमावस्या, 18 जून पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 8.21 बजे से 9.11 बजे तक होगी 

अमावस्या के दिन पूजा विधि अनुष्ठान 
अमावस्या  के दिन पर स्नान का महत्व सर्वोपरी माना गया है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करने के उपरांत पूजा कार्य आरंभ करना चाहिए. गंगाजल युक्त जल से स्नान करना अच्छा होता है अन्यथा साफ स्वच्छ जल से स्नान करके अपने पितरों का ध्यान करना चाहिए. इस समय पर गंगा स्नान करने का विधान भी बहुत प्रमुख है लोग इस समय पर विशेष रुप से तीर्थों पर जाकर स्नान एवं दान कार्य करते हैं.

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अमावस्या के दिन स्नान के पश्चात सूर्य देव की पूजा करने का विधान है इस समय पर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए. संकल्प लेकर अपने पितरों को भी जल अर्पित करना चाहिए. सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए और सूर्य आदित्य स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए. भगवान श्री विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करते हुए और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. पूजा समाप्त होने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करना उत्तम होता है. इस समय पर तिल का दान करना पितर दोष से मुक्ति बनता है. इस दिन तिल के उपाय करने से घर में सौभाग्य का आगमन होता है.  

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