Ahoi Ashtami 2023
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कार्तिक माह की अष्टमी के दिन अहोई माता का पूजन किया जाता है. अहोई माता का पूजन संतान के सुख एवं संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है. अहोई अष्टमी व्रत का विशेष महत्व माना गया है. यह व्रत माताओं के द्वारा संतान के सुख के लिए किया जाता है.
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माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख के लिए व्रत रखती हैं. हिंदू पंचांग अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस व्रत के दिन अहोई माता की कथा को सुनना एवं पढ़ना बेहद जरूरी होता है.
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अहोई अष्टमी कथा
अहोई अष्टमी के दिन कथा करना जरुर कार्य होता है पूजा के समय कथा की जाती है. अहोई अष्टमी की कथा इस प्रकार है : - प्राचीन समय में एक साहूकार था जिसके सात बेटे और सात बहुएँ थीं. एक बार दिवाली पर घर को सजाने के लिए जब सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गईं तो उनकी ननद भी उनके साथ जाती है. साहूकार की बेटी जिस स्थान पर मिट्टी खोदती थी उस स्थान पर स्याहू का घर भी था ऎसे में मिट्टी खोदते समय गलती से साहूकार की बेटी से साही का एक बच्चा मर गया.
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इससे क्रोधित होकर साही उसे श्राप देने लगती है कि मैं तेरी कोख बांध दूंगी.ऎसे में सबसे छोटी भाभी ने माफी मांगते हुए ननद के स्थान पर स्वयं पर श्राप ले लिया. इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं, वे मर जाते थे तब पंडित बहु को इस श्राप से मुक्ति के लिए सुरही गाय की सेवा करने को कहते हैं बहु वैसा ही करती है और सेवा से प्रसन्न होकर सुरही गाय उसे स्याहु के पास ले जाती है. रास्ते में जब वे थक जाते हैं तो दोनों आराम करने लगते हैं.
अचानक साहूकार की छोटी बहू की नजर एक तरफ जाती है तो वह देखती है कि एक सांप गरुड़ के बच्चे को काटने वाला है और वह सांप को मार देती है.इसी बीच गरुड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहू ने उसके बच्चे को मार डाला है, इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है.
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तब बहु कहती है कि उसने उस बच्चे की जान बचाई है तब अपने बच्चे को जीवित देख वह खुश होती है ओर उन दोनों को साही के पास उसे ले जाती है. जहां वह साही की सेवा करती है और तब साही उसे कहती है कि वह घर जाकर अहोई माता का पूजन करे तो उसे संतान सुख मिलेगा. बहु घर जाकर अहोई माता का पूजन करती और उसे संतान सुख प्राप्त होता है. तब से अहोई माता का पूजन संतान की सुरक्षा एवं सुख को प्रदान करने हेतु प्रतिवर्ष किया जाता है.