पूजा के शुभ फल :
जब पहली बार भगवान शिव, काशी में निवास करने के लिए आए तभी से यह काशी शिवलोक बन गई। चामुंडा देवी के इस स्थान का वर्णन उसी काल से मिलता है जो आज श्री श्री 1008 माँ नव दुर्गा चामुंडा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है । यह सिद्धपीठ उस समय भी था। यह स्थान भगवान शिव का मस्तक है। गंगा किनारे बसा विश्व प्रसिद्ध लोलार्क सूर्य कुंड के समीप स्थित यह मंदिर अत्यंत ही पूज्यनीय है और विशेष सिद्धपीठ है। चामुंडा देवी मां पार्वती की स्वरूप है और महालक्ष्मी महासरस्वती और महाकाली इन तीनों की महा स्वरूपा हैं। विश्व प्रसिद्ध मां कुष्मांडा देवी मंदिर की मूर्ति की स्थापना भी इसी चामुंडा देवी के स्थान से ले गई मिट्टी से हुई थी।
यहां श्रद्धा से किया हुआ कोई भी पूजन कार्य सफल होता ही है इसमें कोई दो राय नहीं। मां सरस्वती की कृपा प्राप्ति के लिए मां चामुंडा के सम्मुख बैठकर किया हुआ पूजन मां सरस्वती को प्रसन्न करता है। वाक् शक्ति, बुद्धि प्रखरता, वाणी में तेज, तीव्र मस्तिष्क, धारणा शक्ति को बढ़ाता है और सारे मानसिक कष्ट ,भय ,तनाव आदि को दूर करता है। किसी से भी बात करते हुए उस को प्रभावित कर देने की क्षमता का विकास हो जाता है। छात्रों के लिए तो यह विशेष रूप से लाभकारी है। वर्ष में एक बार होने वाले इस सरस्वती आराधना को यदि चामुंडा देवी के सानिध्य में किया जाए तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। गंगाजल से और गंगा के किनारे तथा सूर्य के दिव्य स्थान के समीप एक अलग ही दिव्य वातावरण बन जाता है और भगवान शिव के सानिध्य में मां सरस्वती की आराधना पूर्ण फलदाई होती है।
इस वर्ष 5 फरवरी 2022 बसंत पंचमी को वाग्देवी मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के दिन उनका पूजन पूरे वैदिक विधि विधानों से श्री श्री 1008 माँ नव दुर्गा चामुंडा देवी के मंदिर में काशी में विद्वान वैदिक पंडितों के द्वारा संपन्न कराया जाएगा।
मेधे सरस्वति वरे भूति वाभ्रवि तामसि । नियते त्वं प्रसीदेशे नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय के उपरोक्त 23वें मंत्र से मां महासरस्वती की आराधना, पूजन जप संपन्न किया जाएगा। पूजन के पश्चात हवन, तर्पण ,मार्जन आदि समस्त क्रियाएं संपन्न की जाएंगी।
प्रसाद :
हमारी सेवाएं : पूजा के पूर्व हमारे पंडित जी आपको विशेष रूप से काल करके संकल्प कराएंगे जिसका फोटो और वीडियो आपको पूजा के पश्चात भेजा जाएगा, साथ ही इस पूजा का प्रसाद भी आपको भिजवाया जाएगा।
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