रुद्राभिषेक के शुभ फल :-
श्री नाथ जी का धाम है सोमनाथ
यह स्थान इतिहास के अनुसार महत्वपूर्ण माना जाता है। शिव पूजन एवम रूद्राभिषेक लिए एक अहम स्थान होने के साथ ही, यह कृष्णा भक्तों के लिए भी बहुत ख़ास माना गया है। कहा जाता है की यदु वंश का संहार करने के लिए श्री कृष्ण इसी स्थान को चुना था जिसके बाद उन्होंने अपनी नर लीला समाप्त कर ली थी। महाशिवरात्री में यहाँ पूजन करना बहुत लाभकारी और कल्याणकारी माना गया है।
महाशिवरात्री में रूद्राभिषेक के साथ विशेष शिव पूजा होती है कल्याणकारी
पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रसंग है। अमृत की खोज में दूधिया सागर यानि समुद्र मंथन का मंथन श्रावण मास में हुआ था। मंथन के दौरान समुद्र से 14 अलग-अलग माणिक निकले। तेरह माणिकों को देवों और असुरों के बीच विभाजित किया गया था, हालांकि, हलाहल, 14 वां माणिक अछूता रहा क्योंकि यह सबसे घातक जहर था, जो पूरे ब्रह्मांड और हर जीवित प्राणी को नष्ट कर सकता था। भगवान शिव ने हलाहल पिया और विष को अपने कंठ में रख लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाने लगे।
हमारी सेवाएं :
हमारे पंडित जी द्वारा अनुष्ठान से पूर्व संकल्प करवाया जाएगा। साथ ही पूर्ण विधि - विधान से महादेव का पूजनकर रुद्राभिषेक संपन्न किया जाएगा।
प्रसाद :
सूखा भोग
बाबा का भस्म
काला धागा ( हाथ में बांधने हेतु )
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