श्रीगणेश पंचरत्नम् पाठ का फलः
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम्।।
आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्रीगणेश पंचरत्नम् स्तोत्र के पाठ से विघ्नहर्ता श्री गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं। आदि देव, पार्वती-सदाशिव के पुत्र श्री गणेश जी विघ्नों के विनाशक हैं। श्री गणेश जी की पत्नी स्वयं रिद्धि-सिद्धि हैं। विनायक जहाँ जाते हैं, रिद्धि व सिद्धि भी साथ ही जाती हैं। इसीलिए, गणेश जी के प्रसन्न होते ही पूजन करने वाले के लिए सब कुछ अनुकूल हो जाता है। ग्रह दोष मिट जाते हैं, विरोधी परास्त हो जाते हैं। बुद्धि-विवेक में बढ़ोत्तरी के साथ ही वैवाहिक समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं। जिनके विवाह होने में व्यवधान होता है, उनके विवाह शीघ्र निर्विघ्न हो जाते हैं।
गणेश दैवज्ञ के अनुसार, मार्गशीर्ष के महीने में विनायक चतुर्थी तिथि पर श्रीगणेश पंचरत्नम् के पाठ से सभी माँगलिक कार्य बिना किसी विघ्न के शीघ्र पूरे होते हैं। इस विनायक चतुर्थी को मंगलवार का विशेष दिन है। इस तिथि को अनुपम श्रीगणेश पंचरत्नम् के 1100 पाठ से मनचाहा वरदान मिलता है। करने या करवाने वाले की समस्त शुभ मनोकामनाएँ शीघ्र से शीघ्र पूर्ण होती हैं। घर-गृहस्थी की सभी परेशानियों का सदैव के लिए अंत हो जाता है।
हमारी सेवाएं :
उक्त लाभ हेतु सात विद्वान पण्डितों द्वारा श्रीगणेश पंचरत्नम् स्तोत्र का 1100 पाठ व हवन वाराणसी (काशी) स्थित श्री दुर्ग विनायक में पूरे विधि-विधान से सम्पन्न किया जाएगा। अनुष्ठान से पूर्व आपको एक लिंक भेजा जाएगा, जिससे आप अपने घर से ही पूजा का आनंद व फल प्राप्त कर सकेंगे।
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