वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन का फल
श्री सरस्वत्ये महादेव्यै नमो नम:।
शास्त्रों में उल्लिखित त्रिदेव सर्व शक्तिवान माने जाते हैं। उनकी शक्ति का मुख्य केंद्र त्रि देवियाँ अर्थात् शक्ति होती हैं। जो क्रमशः महासरस्वती, महालक्ष्मी, व महाकाली हैं। आप कितने भी धनवान क्यों ना हों धन का संचय और व्यय करने के तरीक़ों का यदि आपको नहीं पता तो सब कुछ व्यर्थ है। इसीलिए देवी सरस्वती का पूजन सर्वोपरि है। क्योंकि अगर बुद्धि सही काम करेगी तो आप और अच्छा, अन्यथा अनर्थ हो सकता है।
वसंत पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से पवित्र होकर पीले वस्त्र पहन कर, सरस्वती माता की प्रतिमा का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। सरस्वती माँ इतनी भोली हैं कि व्यक्ति द्वारा किए गए तनिक से प्रयत्न से ही उसे ज्ञान का भंडार सौंप देती हैं। इस बार वसंत पंचमी गुप्त नवरात्रि में पड़ रही है, जिस कारण यह पूजन अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
हमारी पूजा सेवाएं :-
गुप्त नवरात्रि में वसंत पंचमी को शास्त्रोचित पूरे विधिविधान से प्रसिद्ध सरस्वती मंदिर पर सरस्वती पूजन आचार्य जी द्वारा कराया जाएगा। पूजन से पूर्व पंडित जी संकल्प कराएंगे।
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