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Mahaashivaraatri Ke Paavan Parv Par Apaar Dhan Vaibhav Evan Sampada Praapti Hetu Omkaareshvar Mein Karaen Rudraabhishek 18 February 2023

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर अपार धन ,वैभव एवं संपदा प्राप्ति हेतु ओंकारेश्वर में कराएं रूद्राभिषेक : 18 फरवरी 2023

By: Myjyotish Expert

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अभिषेक के लाभ-

 

  •  कार्य क्षेत्र में उन्नति होगी।
  • आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी।
  • धन-धान्य में बरकत होती है।
  • नौकरी में पदोन्नति होती है।

ओंकारेश्वर की नगरी में होगी विशेष पूजा । ओंकारेश्वर मंदिर शिव के बारह प्रमुख स्थानों में चौथे स्थान पर आता है। यह मध्य प्रदेश के इंदौर के पास स्थित है। यहां पर नर्मदा नदी बहती है। इसी नदी के मध्य में ओंकार पर्वत पर भगवान शिव को विराजमान माना जाता हैं। ओंकारेश्वर एक ऐसा स्थान है जहां भगवान शिव शयन करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि भगवान तीनें लोको का भ्रमण करने के बाद यहां शयन करने आते हैं। यहां पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती भी विराजती हैं। सावन में ओम्कारेश्वर में महादेव का रुद्राभिषेक बहुत ही माना गया है। यहां पर अभिषेक और पूजन से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

 

हमारी सेवाएं-

 

पंडित जी  द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ रूद्राभिषेक किया जाएगा।

 

पंडित जी के द्वारा कॉल पर आपको संकल्प करवाया जाएगा। अभिषेक में उपयोग की जाने वाली सारी सामाग्री पंडित जी की तरफ से दी जाएगी।

 

प्रसाद-

सूखा भोग 

बाबा का भस्म 

काला धागा ( हाथ में बांधने हेतु )

जानिये हमारे पंडित जी के बारे में

FAQ

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में एक ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग मोरटक्का गांव से लगभग 14 किलोमीटर दूर बसा है यह द्वीप पर बसा है और इस द्वीप का आकार ओम के आकार का है नर्मदा नदी जो भारत में पवित्र तथा पूजनीय नदी है ओंकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से अपने आप हुआ है ओमकारेश्वर मंदिर के भीतर अनेक मंदिर हैं नर्मदा के दोनों दक्षिण और उत्तरी तट पर मंदिर है पुराणों के माने तो कोई भी तीर्थयात्री और भक्तजन भले ही सारे तीर्थ कर ले परंतु जब तक ओमकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल यहां नहीं चढ़ाता उसके तीर्थ को पूर्ण नहीं माना जाता पुराणों की मानें तो नर्मदा जी के दर्शन करने से और उन में स्नान करने से जमुना जी के 15 दिन का स्नान और गंगा जी के 7 दिन का स्नान जितना फल मिलता है

 

अगर कोई भक्तजन ओंकारेश्वर क्षेत्र की तीर्थ यात्रा करता है तो उसे केवल ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन ही नहीं वहां बसे अन्य 24 अवतार के दर्शन भी करनी चाहिए जिनके नाम इस प्रकार है माता घाट (सेलानी), सीता वाटिका, धावड़ी कुंड, मार्कण्डेय शिला, मार्कण्डेय संन्यास आश्रम, अन्नपूर्णाश्रम, विज्ञान शाला, बड़े हनुमान, खेड़ापति हनुमान, ओंकार मठ, माता आनंदमयी आश्रम, ऋणमुक्तेश्वर महादेव, गायत्री माता मंदिर, सिद्धनाथ गौरी सोमनाथ, आड़े हनुमान, माता वैष्णोदेवी मंदिर, चाँद-सूरज दरवाजे, वीरखला, विष्णु मंदिर, ब्रह्मेश्वर मंदिर, सेगाँव के गजानन महाराज का मंदिर, काशी विश्वनाथ, नरसिंह टेकरी, कुबेरेश्वर महादेव, चन्द्रमोलेश्वर महादेव के मंदिर भी दर्शनीय हैं।

 

पौराणिक कथा:

राजा मान्धाता ने यहाँ नर्मदा किनारे इस पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान माँग लिया। तभी से उक्त प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाने लगी। जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है। इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं।

 

शास्त्रों की माने तो कोई भी भक्त कितने भी तीर्थ स्थल के दर्शन कर ले अगर उसने ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर अपने सभी किए हुए तीर्थों का जल नहीं चढ़ाया तो उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं ओमकारेश्वर तीर्थ के साथ नर्मदा जी का भी विशेष महत्व है शास्त्र मान्यता के अनुसार जमुनाजी में 15 दिन का स्नान तथा गंगाजी में 7 दिन का स्नान जो फल प्रदान करता है, उतना पुण्यफल नर्मदाजी के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है।

 


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