श्री लक्ष्मी-विष्णु अभिषेक का फल
जिस प्रकार लक्ष्मी जी के प्रसन्न होने पर कभी शुभ धन की कमी नहीं होती है, उसी प्रकार श्री विष्णु प्रसन्न होकर सभी शुभ मनोकामनाएँ पूरी करने में सक्षम हैं। माता लक्ष्मी व श्री हरि विष्णु जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए, जिससे यह अत्यधिक कल्याणकारी सिद्ध होती है। विष्णु जी को प्रसन्न करने हेतु एकादशी की तिथि का सबसे ज़्यादा महत्व है। हर महीने में दो एकादशी तिथि होती हैं। श्री कृष्ण जी ने युधिष्ठिर को कामिका एकादशी का महत्व बताते हुए इसे सभी मनोरथ पूरी करने का उपाय बताया था।
कामिका एकादशी का महत्व
कामिका एकादशी पर पूजन करने से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है साथ ही व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत का महत्व भगवान कृष्णा द्वारा धर्मराज युधिष्ठिर को बताया गया था।
कामिका एकादशी, सावन मास के कृष्ण पक्ष को होती है। यह चातुर्मास का समय है, जब श्री विष्णु योग निद्रा में लीन होते हैं। ऐसे में उनकी भक्ति, उन्हें अत्यधिक प्रसन्न करती है। इस सावन कामिका एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि का योग भी बन रहा है। यदि, ऐसे में धन की देवी माँ लक्ष्मी और पालनकर्ता श्री विष्णु जी का वर्षा के शुद्ध व ताजे जल से पूरे विधि-विधान से विष्णुसहस्त्रनाम मंत्र के जाप के साथ अभिषेक किया जाए, तो करने या करवाने वाले की समस्त शुभ मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
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श्रावण कामिका एकादशी की तिथि को विष्णुसहस्त्रनामार्चन का जाप तथा अभिषेक सुयोग्य शास्त्री जी से विधि-विधान से सम्पन्न कराया जाएगा। पूजन के पहले शास्त्री जी संकल्प कराएंगे। पूजन के समय आपको एक लिंक भेजा जाएगा, जिसके माध्यम से आप पूजन लाइव देख सकेंगे। यह पूजन नि:शुल्क सम्पन्न किया जाएगा।
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