अथर्वशीर्ष पाठ और दूर्बा सहस्त्रार्चन का फल
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।
प्रथम पूज्य गौरी पुत्र श्री गणेश जी का तो नाम लेने मात्र से समस्त शुभ कार्य सफल हो जाते हैं। गणेश जी के पूजन से समस्त मनोकामना पूर्ण हो जाती है। गणेश जी को पूजने की इच्छा हेतु अथर्वशीर्ष पाठ का अत्यधिक महत्व है। एक ही बार अथर्वशीर्ष पाठ से मनचाहा वरदान मिल जाता है। अथर्वशीर्ष का पाठ सुनकर श्री गणेश जी को अत्यधिक सुख मिलता है और जितना सुख उन्हें मिलता है उससे कहीं अधिक वे अपने भक्तों सुखी करते हैं।
श्री गणेश जी को दूर्बा अत्यधिक प्रिय है। एक, सात या ग्यारह दूर्बा गणपति पर चढ़ाने से वे व्यक्ति द्वारा मन में सोचे गए कार्य को पूर्ण कर देते हैं। ऐसे में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि अर्थात् विनायक (गणेश) चतुर्थी को 108 बार अथर्वशीर्ष पाठ और 1008 दूर्बा से ब्राह्मणों द्वारा गणेश जी का पूजन करने से असम्भव भी सम्भव हो सकता है। विघ्न विनाशक कई गुना प्रसन्न होकर पूजन करने या करवाने वाले को धन-वैभव-बुद्धि-प्रसिद्धि देते हैं। साथ ही, असाध्य रोग, आर्थिक कष्ट, वैवाहिक जीवन की परेशानी व ग्रह दोषों का निवारण भी गणपति कर देते हैं।
हमारी पूजा सेवाएं :-
विनायक चतुर्थी की तिथि को वाराणसी के दुर्ग विनायक मंदिर में पूरे विधिविधान से 108 श्री अथर्वशीर्ष पाठ व दूर्बा सहस्त्रार्चन 5 ब्राह्मणों द्वारा कराया जाएगा। पूजन से पूर्व पंडित जी संकल्प कराएंगे।
प्रसाद
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