गुप्त नवरात्रि में इस पाठ के फल :
असमय मृत्यु का भय सदैव के लिए समाप्त
धन-वैभव में कई गुना तेज़ी से वृद्धि
समाज में सम्मान बढ़ता है
हर प्रकार का संकट समाप्त
सभी इच्छाएँ शीघ्र पूरी होंगी
जब दुष्टों के संहार के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश समेत समस्त देव विफल हो गए, तब सृष्टि को शक्तिशाली दानवों से बचाने के लिए माँ दुर्गा प्रकट हुईं। माँ दुर्गा को जगतजननी कहा जाता है। जब समस्त शक्ति और सामर्थ्य विफ़ल हो जाते हैं, तब माता दुर्गा ही हैं जो आपकी रक्षा कर सकती हैं। आठ भुजाओं से अपने बच्चों का लालन-पालन करती हैं। इनका वाहन सिंह अर्थात् शेर है, जो स्वयं सर्व शत्रु विनाशक है। जो जन माता दुर्गा से सच्ची आस्था और भक्ति से कुछ भी माँगता है, वे तुरंत प्रदान करने में सक्षम हैं।
दुर्गा सप्तसती में पूरी देवी लीला का वर्णन है। जिसमें प्रारम्भ में देवी के नाम व समस्त फलों और सभी प्रकार की सुरक्षा देने वाले स्तोत्र हैं, जो कि साधारण व संस्कृत ना जानने वाले भक्तों के लिए कठिन हैं। क्योंकि, इसे पूर्ण विधि-विधान , आवाहन-विसर्जन, भाषा व मन की शुद्धता से किया जाता है। इस पाठ में देवी द्वारा दुष्टों का संहार वाली नवरात्रि का वर्णन है। जिसे पढ़ने, सुनने या अन्य द्वारा करवाने मात्र से देवी भक्तों के समस्त कष्टों को हर लेती हैं। पाठ के समापन में भय नाश हेतु मंत्र, क्षमा-याचना व सिद्धकुंजिका स्तोत्र है, जिसके बिना दुर्गा सप्तसती पूर्ण नहीं मानी जाती है।
हमारी सेवाएं :-
दुर्गा सप्तसती का पाठ हमारे सुयोग्य आचार्य जी द्वारा पूरे विधि-विधान से आपको व आपके परिवार को बताए गए लाभों की प्राप्ति के लिए समस्त श्लोकों का जाप एवं हवन संपन्न किया जाएगा। पूजन से पूर्व आचार्य जी संकल्प कराएंगे।
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