पूजा के शुभ फल :-
गुप्त नवरात्रि का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार जब दुर्ग नाम के राक्षस ने कठिन तपस्या के बल पर ब्रह्मा जी से चारों वेद प्राप्त कर लिया और हर जगह उपद्रव करने लगा तो उससे बचने के लिए देवताओं ने मां जगदंगा की शरण ली, इसके बाद मां दुर्गा के शरीर से दस महाविद्या का प्राकट्य हुआ और उन्होंने उसका वध कर दिया। मान्यता है कि इसी के बाद से जीवन से जुड़े तमाम दुखों और दुर्भाग्य को दूर करने के लिए गुप्त नवरात्रि का महापर्व मनाया जाने लगा। गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा गुप्त रूप से करने का विधान है।
हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई साधक गुप्त नवरात्रि में एक निश्चित समय पर गुप्त रूप से देवी दुर्गा के पावन स्वरूप की साधना करता है तो उसे उनसे सुख-सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद निश्चित तौर पर प्राप्त होता है। देवी कृपा से उसके जीवन से जुड़ी दोष और विकार पलक झपकते दूर हो जाते हैं।
गुप्त नवरात्रि में साधना से सिद्ध होते हैं मंत्र
गुप्त नवरात्रि को न सिर्फ देवी की सामान्य विधि से बल्कि तंत्र और मंत्र से भी साधना की जाती है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में यदि कोई साधक दस महाविद्या में से किसी भी देवी की विधि-विधान से तंत्र या मंत्र साधना करता है तो वह निश्चित तौर पर सफल होती है और पूरे साल उस पर देवी दुर्गा के उस दिव्य स्वरूप की कृपा बनी रहती है। गुप्त सिद्धियों को पाने के लिए इस नवरात्रि को सबसे ज्यादा शुभ माना गया है। मान्यता है कि इसी गुप्त नवरात्रि की पूजा के बल पर विश्वामित्र को असीम शक्ति प्राप्त हुईं थी और इसी महापर्व पर साधना करके रावण का पुत्र मेघनाथ ने इंद्र को हराया था।
माँ दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जिन्हें देवी, शक्ति और जग्दम्बा के नाम से भी जाना जाता हैं । यह शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना परम ब्रह्म से की जाती है।माँ दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी देवी हैं। मान्यताओं के अनुसार वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करने वाली देवी हैं।
देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका "गौरी" है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप "काली" है, अर्थात काला रूप। देवी भगवती की आराधना करने से संसार के सभी दुखों का नाश होता है। देवी स्वयं ढाल बनकर अपने भक्तों की रक्षा करती है। माँ भगवती की पूजा से भक्त के सभी समस्याओं का विनाश हो जाता है। संसार के सभी सुख देवी अपने भक्तों के घर ले आती है। यदि आपके जीवन की विपदाओं का समाधान नही प्राप्त हो पा रहा है तो आपको यह अनुष्ठान अवश्य ही करवाना चाहिए,आशीर्वाद स्वरुप देवी आपके सारे दुःख हर के घर -परिवार में खुशियों के वास का आशीर्वाद प्रदान करेंगी।
हमारी सेवाएं :-
हमारे पंडित जी द्वारा अनुष्ठान से पहले संकल्प के लिए आपको फोन किया जाएगा तथा अनुष्ठान पूर्ण होने के बाद दुबारा आपको सूचित किया जाएगा। पूजा के बाद प्रसाद भी भिजवाया जाएगा।
पूजा का प्रसाद :-
1. लाल कपड़े में लिपटे 5 लघु नारियल (यह नारियल अपनी तिजोरी या जहाँ पर भी आप अपना कीमती सामान रखते है वहाँ रखना है )
2. उर्जित अटूट चावल
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