पूजा के शुभ फल :-
महादेव व पार्वती पुत्र गणेश भगवान को विग्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। गणपति आदिदेव है जिन्होंने अलग -अलग युग रूप धारण करके धर्म की रक्षा की है। उन्हें गुणों का स्वामी कहा गया है जिसके कारण उन्हें गणपति कहा जाता है। किसी भी मांगलिक कार्य को समपन्न करने पूर्व वह प्रथम पुजय्नीय है। मान्यताओं के अनुसार यदि किसी भी कार्य का शुभारम्भ गजानन अर्थात गणपति जी की पूजा से की जाएं तो उस कार्य का परिणाम अच्छा ही होता है। गणपति विग्नहर्ता के रूप में इसलिए ही जाने जातें है क्यूंकि वह अपनी शक्ति से किसी भी व्यक्ति को फर्श से अर्श तक पंहुचा देते है।
गणेश जी की आराधना से व्यक्ति के रुकें कार्य बनने लगते है। ख़ासकर तब जब यह पूजा पोस्ता के मोटा गणेश मंदिर में की जाएं। यह मंदिर गणेश जी के प्रसिद्द मंदिरों में से एक जिसकी महिमा के सामने संसार का कोई विग्न नहीं टिक पता है। यदि कोई व्यक्ति बहुत समय से किसी कार्य को करने की कोशिश कर रहा है परन्तु उसके मार्ग में बहुत जी बाधाएं आ रही है तो यह पूजा उसके लिए गणेश का आशीर्वाद है जिसके माध्यम से वह अपना कार्य सफल बना सकता है। गणेश जी महिमाकारी है वह सदैव अपने भक्तों की इच्छाओं को पूर्णकर उन्हें सौभाग्यशाली होने का वरदान प्रदान करते है।
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