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Home ›   Astrology Blogs ›   Shiv Shakti: Effect of Shiva and Shakti, power of life and spirituality.

Shiv Shakti : शिव और शक्ति जीवन की शक्ति एवं आध्यात्मिकता का प्रभाव

my jyotish expert Updated 07 Dec 2023 11:11 AM IST
Shiv Shakti
Shiv Shakti - फोटो : my jyotish
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सृष्टि में हिव और शक्ति के बिना जीवन की कल्पना मुश्किल भै. जीवन के आधार रुप में यह दोनों ही पुरुष व स्त्रैण उर्जाओं का विशेष मिलन भी दिखाते हैं. शक्ति के बिना जहां शिव अधूरे हैं वहीं शिव के बिना शक्ति पूर्ण होना भी संभव नही है. ह्रम कथाओं में इनका संबंध सृष्टि के संचालन को दर्शाता है. पौराणिक आलेखों के अनुसार भगवान ब्रह्मा द्वारा रचित सृष्टि में आदि और प्रकृति ने मिलकर पृथ्वी पर नए प्राणियों को जन्म देकर पृथ्वी का विकास किया. पौराणिक कथाओं के अनुसार आदि को भगवान शिव को अदि योगी और प्रकृति को शक्ति माना जाता है. ऎसे में केवल भगवान शिव और शक्ति के द्वारा ही प्राणियों के लिए जीवन का आधार संभव हो पाया है. 

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सृष्टि और आध्यात्मिक विकास में शिव शक्ति का योग 
हिंदू पौराणिक कथाओं में शिव और शक्ति अस्तित्व को बेहद ही खूबसूरत रुप में वर्णित किया गया है. दोनों को आदिशक्ति के रूप में पूजा जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि शिव ही शक्ति है, शक्ति ही शिव है. शिव ने ही सृष्टि के हित के लिए शक्ति के रूप की रचना की थी. प्राणियों का जीवन शुरू होने के साथ उनके जीवन हेतु प्रकृति का निर्माण शक्ति द्वारा ही संभव हो पाया.  इसलिए शिव और शक्ति एक दूसरे के बिना अधूरे माने जाते हैं.  

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जड़ और चेतन में शिव शक्ति का प्रभाव  
सृष्टि की रचना में जब ब्रह्मा जी ने देखा कि पृथ्वी पर किसी भी प्रकार का कोई विकास नहीं हो रहा है. तब जड़ ओर चेतन में जो समाया वह शिव और शक्ति के द्वारा ही संभव हो पाया है. ब्रह्मा जी ने विष्णु जी से मदद मांगी और  विष्णु जी ने ब्रह्मा जी को शिव शक्ति की अराधना करने को कहा.

ब्रह्मा जी के तप से प्रसन्न होकर अदि देव शिव ने खुद में शक्ति को समाहित किया जिससे अर्धनारीश्वर स्वरुप साकार हुआ. शिव के पुरुष रूप और स्त्री रूप शक्ति ने मिलकर पृथ्वी पर नए जीवों की उत्पत्ति की जिससे पृथ्वी का विकास संभव हो पाया. इस कारण दोनों ही जड़ चेतन के आधार हैं ओर एक दूसरे के साथ स्पष्ट रुप से जुड़े हैं. 

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शिव और शक्ति को एक दूसरे का पूरक 
भगवान शिव का शक्ति रूप ही माता पार्वती का स्वरूप है. इस कारण से शिव और शक्ति को एक दूसरे का पूरक माना जाता है, शिव और शक्ति दोनों एक ही हैं. तंत्र शास्त्रों में भी इन दोनों के मिलन का विशेष स्थान है जो आध्यात्मिक क्रियाओं की पूर्णता हेतु अत्यंत मुख्य रुप से काम करता है. शक्ति, ईश्वर की अभिव्यक्ति, सृजन में सक्रिय भागीदारी का प्रतीक है तथा शिव, अतिक्रमण का प्रतीक, शिव की गतिशील शक्ति का पूरक है. दोनों युगल बनाते हैं जहां सृष्टि का निर्माण संभव हो पाता है.


 
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