Shani Jayanti 2023: कब है शनि जयंती, जानें किस पूजा से दूर होगा कुंडली का शनि दोष
- फोटो : google
ज्योतिष के अनुसार पृथ्वी पर जन्म लेते ही व्यक्ति का जुड़ाव नवग्रहों से हो जाता है. इन नवग्रहों में शनि एक ऐसा ग्रह है, जिन्हें हिंदू धर्म में देवता के रूप में पूजा जाता है.
शनि का नाम आते ही भले लोगों के मन में सनसनी सी होने लगती हो लेकिन हिंदू धर्म में उन्हें न्याय का देवता माना गया है, जो हर किसी के साथ न्याय करते हुए उसके कर्मों का फल प्रदान करते हैं.
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला शनि जयंती का महापर्व इस साल
19 मई 2023 को मनाया जाएगा. आइए इस पावन पर्व से जुड़ी पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं.
शनि जयंती की पूजा विधि
शनि जयंती पर शनिदेव का आशीर्वाद पाने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और उसके बाद सबसे पहले शनिदेव के पिता यानि सूर्यदेव की साधना करते हुए उन्हें तांबे के लोटे से अर्घ्य दें. इसके बाद शनिदेव के मंदिर में जाकर शनिदेव को सरसों का तेल, नीले रंग का पुष्प और काला तिल अर्पित करें. इसके बाद शनिदेव के लिए सरसों के तेल का दीया जलाकर उनके मंत्र
‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ का जप करें.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
शनि जयंती का महाउपाय
यदि आपकी कुंडली में शनि से संबंधित कोई दोष है या फिर आप इन दिनों शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के कारण होने वाले कष्टों से परेशान हैं तो आपको शनि जयंती पर शनिदेव की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि यदि शनि जयंती के दिन शनिदेव को स्नान करने के बाद भीगे वस्त्र पहने हुए सरसों का तेल चढ़ाने के बाद शनि मंत्र का मन में जाप करते हुए कर उनकी सात बार परिक्रमा करनी चाहिए. मान्यता है कि शनि जयंती के इस उपाय को करने पर शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के कष्ट जल्द ही दूर होते हैं.