हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक धार्मिक महत्व बताया गया है. भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष आराधना के लिए यह दिन अत्यंत ही शुभ माना जाता है. इस दिन जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से महादेव और माता पार्वती की पूजा करते हैं उनकी मनचाही इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं. इस बार प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा.
समस्या आपकी समाधान हमारा, आज ही बात करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषियों से
प्रदोष व्रत तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार मई महीने का पहला प्रदोष व्रत 02 मई दिन मंगलवार की रात्रि 11:17 से शुरू होगा जो अगले दिन, यानी की 03 मई की रात्रि 11:49 पर समाप्त होगा. हालांकि, उदया तिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 03 मई को ही रखा जाएगा.
वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त 03 मई की शाम 06:57 से लेकर 09:06 तक रहेगा. इस समय में की गई पूजा अधिक सफल और लाभकारी मानी जाती है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
प्रदोष व्रत के नियम
-इस विशेष दिन प्रात:काल उठकर सबसे पहले स्नान करना चाहिए. इसके बाद किसी शिव मंदिर जा कर या घर के पूजा स्थल पर बैठकर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.
-इस दिन व्रत रखना बहुत लाभकारी माना जाता है. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और जातक पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं.
-प्रदोष व्रत के दिन किसी भी व्यक्ति को अपशब्द नहीं कहना चाहिए. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि बिना वजह क्रोध न करें.
-जो व्यक्ति व्रत रखते हैं वे इस दिन सिर्फ फलाहार ही ग्रहण करें. इस दिन किसी भी प्रकार का अन्न न खाएं.
-प्रदोष व्रत के दिन दान-दक्षिणा देने का भी महत्व होता है. ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.