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Home ›   Blogs Hindi ›   Kainchi Dham: Why do devotees, both domestic and foreign, keep coming to Kainchi Dham associated with faith?

Kainchi Dham: आस्था से जुड़े कैंची धाम पर आखिर क्यों खिचे चले आते हैं देशी-विदेश भक्त

my jyotish expert Updated 11 May 2023 03:46 PM IST
Kainchi Dham: आस्था से जुड़े कैंची धाम पर आखिर क्यों खिचे चले आते हैं देशी-विदेश भक्त
Kainchi Dham: आस्था से जुड़े कैंची धाम पर आखिर क्यों खिचे चले आते हैं देशी-विदेश भक्त - फोटो : google
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उत्तराखंड की मनोरम एवं शांत वादियों के बीच स्थित बाबा नीम करोली से जुड़ा कैंची धाम अक्सर खबरों की खबर में बना रहता है. इस पावन धाम पर क्या देशी और क्या विदेशी हर रोज बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. बाबा के चमत्कार से प्रभावित होकर न सिर्फ विराट कोहली और अनुष्का, बल्कि एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क तक बाबा की देहरी पर जाकर अपना मत्था टेक चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आस्था से जुड़े कैंची धाम का क्या रहस्य है कि क्या आम और क्या खास सभी यहां खिंचे चले आते हैं. 

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कौन थे बाबा नीम करोली
सनातन परंपरा से जुड़े सिद्ध संतों में से एक बाबा नीम करोली के बारे में मान्यता है कि वे पवनपुत्र हनुमान का स्वरूप थे. साधु बनने से पहले उनका नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. मान्यता है कि उन्होंने किशोरावस्था में ही साधू वेश धारण कर लिया था. बाबा नीम करौली के तमाम भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार ही मानते हैं. 

हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि बाबा नीम करोली को हनुमान जी की चमत्कारी सिद्धियां प्राप्त थीं और वे उन्हीं के जरिए वे अक्सर अपने भक्तों का उद्धार किया करते थे. वैसे बाबा नीम करोली ने देश में कई हनुमान मंदिर बनवाए थे.

कब-कब दिखा बाबा का चमत्कार
बाबा नीम करोली के तमाम चमत्कारिक किस्से मशहूर हैं. मान्यता है कि एक बार बाबा के पावन धाम में बन रहे भंडारे में अचानक से घी कम पड़ गया तो लोग परेशान होने लगे. जब यह बात बाबा नीम करोली तक पहुंची तो उन्होंने अपने भक्तों से नदी से पानी भर कर लाने को कहा. 

मान्यता है कि बााब नीम करोली ने उस पानी को स्पर्श करके घी में बदल दिया था. कुछ ऐसे ही जब एक बार बाबा भक्त कड़ी धूप में निढाल पड़कर गिरने वाला था तब बाबा ने अचानक से बादल की छतरी प्रदान कर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने में मदद की.

मान्यता है कि जब फेसबुक की हालत ठीक नहीं थी तो उसके मालिक मार्क जुकरबर्ग बाबा नीम करोली के आश्रम पहुंचे, जिसके बाद उनकी कारोबार एक बार फिर चल निकला. बाबा के ऐसे अनगिनत चमत्कारों को कई किताबों और लेखों के जरिए लिखा जा चुका है.

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कहां है कैंची धाम
बाबा नीम करौली के जिस कैंची धाम आश्रम की स्थापना 1964 में हुई थी, वह उत्तराखंड के नैनीताल जिले से महज 17 किमी दूर अल्मोड़ा मार्ग पर पड़ता है. जबकि भवाली से इसकी दूरी महज 09 किमी और काठगोदाम रेलवे स्टेशन से बाबा का आश्रम लगभग 36 किमी दूर पड़ता है. काठगोदाम कैंची धाम जाने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है.
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