उन्होंने अपने जीवन में बहुत सी कठिनाइयां झेली हैं लेकिन उन्हें कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. आपदा को अवसर में कैसे बदलना है वेश कला में निपुण थे. अपनी नीतियों में उन्होंने वैसे तो कुछ ऐसे कार्यों का जिक्र किया है जिसे व्यक्ति को करने से बचना चाहिए. लेकिन कुछ ऐसे भी कार्य है जिनको करने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए. आइए जानते हैं उन्हीं कुछ बातों को.
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चाणक्य का मानना था कि आर्थिक समृद्धि के बगैर भौतिक समाज की जरूरतें पूरी नहीं की जा सकती है. उनका कहना था कि यदि आपने अपने दयालु भाव के कारण किसी व्यक्ति को उधार दिया है तो उसे वापस मांगने में कभी शर्म न करें. यदि आप धन के मामले में शर्म करेंगे तो इससे आपका ही नुकसान होगा.
अधिकतर ऐसा होता है कि जब व्यक्ति किसी रिश्तेदार या दोस्त के घर जाता है तो संकोच वर्ष वह भोजन या खाना आधे पेट ही खाता है. चाणक्य का मानना है कि खाना हमेशा भर पेट खाना चाहिए. चाहे आप जिस भी स्थान पर बैठे हैं लेकिन खाने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए इसमें किसी भी प्रकार की कमी नहीं करनी चाहिए.
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चाणक्य का मानना था आजीवन व्यक्ति कुछ न कुछ सीखता रहता है. उनका मानना था कि यदि आप गुरु से ज्ञान ले रहे हैं तो उसमें कभी शर्म मत कीजिए. यदि आपके मन में किसी विषय को लेकर जिज्ञासा है यह सवाल है तो उसे पूछने में शर्म महसूस मत करिए. ऐसा करने में आपका ही नुकसान होता है और भविष्य में आपको परेशानियां भी झेलनी पड़ती हैं.