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सनातन परंपरा में इस दिन न सिर्फ सत्तू के दान बल्कि सत्तू के सेवन का शुभ फल बताया गया है. सतुवाई अमावस्या का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिष महत्व भी है. ज्योतिष की दृष्टि से पितृदोष और कालसर्प दोष दूर करने वाली शांति पूजा के लिए सतुवाई अमावस्या को बेहद शुभ माना गया है. आइए सतुवाई अमावस्या की पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.
पितरों की पूजा में करें ये उपाय
हिंदू धर्म में पितरों की पूजा में चावल का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसे हविष्य अन्न या नि देवताओं का भोजन कहा गया है. गौरतलब है कि पितरों से जुड़े पूजन कर्म में चावल से बने पिंड बनाए जाते हैं. मान्यता है कि इसे पाकर पितर शीघ्र ही संतुष्ट होते और अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. ऐसे में कुंडली का पितृ दोष दूर करने और पितरों की कृपा पाने के लिए सतुवाई अमावस्या पर चावल से बने सत्तू का दान करें.
सतुआई अमावस्या का दान
हिंदू धर्म में पवित्र तिथियों पर किसी जल तीर्थ पर जाकर स्नान और दान की परंपरा है. मान्यता है कि सतुवाई अमावस्या पर यदि किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दोपहर के समय में चावल से बना सत्तू अथवा सामान्य सत्तू का दान किया जाए तो पुण्यफल की प्राप्ति होती है. इसी प्रकार सतुआई अमावस्या पर जरूरतमंदों को जल एवं अन्न का दान भी अत्यंत ही शुभ माना गया है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
सतुआई अमावस्या की पूजा का उपाय
- हिंदू धर्म में सतुवाई अमावस्या तिथि के दिन पूजा के कुछेक विशेष उपाय बताए गए हैं, जिसे करने से न सिर्फ संबंधित देवी-देवता बल्कि ग्रह विशेष का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सतुवाई अमावस्या का पुण्यफल पाने के लिए यदि संभव हो तो पूजा-पाठ करने के साथ व्रत भी रखना चाहिए.
- सतुवाई अमावस्या के दिन भगवान श्री विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का अधिक से अधिक जप करना चाहिए.
- सतुवाई अमावस्या के दिन शुभ फल की प्राप्ति के लिए पीपल के पेड़ पर पानी में कच्चा दूध और तिल मिलाकर चढ़ाना चाहिए. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाना चाहिए.
- सतुवाई अमावस्या पर गंगा स्नान को बहुत ज्यादा पुण्यदायी माना गया है, इसलिए यदि संंभव हो तो इस दिन गंगा तट पर जाकर विशेष रूप से स्नान करना चाहिए. यदि आप गंगातट पर न जा पाएं तो अपने घर में नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करके इस पुण्य लाभ पा सकते हैं.
- कुंडली में स्थित कालसर्प दोष और उसके कारण होने वाले कष्टों से मुक्ति पाने के लिए सतुवाई अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद चांदी से बने नाग-नागिन को बहते हुए पानी में प्रवाहित करना चाहिए. मान्यता है कि इस उपाय को करने पर कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है.