वह अन्य सभी देवताओं की शक्तियों के संयोजन से बनाई गई एक सर्वोच्च शक्ति थी। इसलिए देवी दुर्गा या महामाया ’का जन्म हुआ, जो ब्रह्मांड की महान माता हैं, जो ब्रह्मांड में बुरी शक्तियों का सृजन, संरक्षण और विनाश सुनिश्चित करती हैं।पूजा के दौरान दुर्गा मां की आरती गाना बेहद जरूरी है। मां की आरती करते समय कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है। पूजा की थाल में कपूर या फिर गाय के घी का दीपक जलाएं। मां की आरती करते हुए ताली जरूर बजाएं। साथ ही आरती के साथ शंख और घंटी अवश्य बजाएं। अगर आरती के दौरान शंघनाद और घंटी बजाई जाएं तो उनकी ध्वनि से घर के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा का खात्मा हो जाता है।
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि के समय देवी को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा आरती का जाप कर मां दुर्गा की पूजा की जाती है और वह भक्तों के सभी कष्ट हर लेती हैं।
नवरात्रि में रोज सुबह-शाम मां दुर्गा की आरती करनी चाहिए। आरती करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं आरती में शामिल होने वालों पर भी मां की कृपा बनी रहती है.
दुर्गा आरती के समय थाली में कपूर या गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। आरती के साथ शंख बजाना चाहिए। आरती के समय घंटियों की आवाज से घर के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मां दुर्गा शक्ति का वह रूप है जिस तक पहुंचना अत्यंत कठिन है। हिंदू पौराणिक कथाओं में देवी दुर्गा को शेर की सवारी करने के लिए माना जाता है और वे अत्यधिक शक्तिशाली और उग्र हैं। वह अपने भक्तों की रक्षा के लिए बुराई की रक्षा करती है और उससे लड़ती है। वह सृष्टि को बचाने के लिए बुराई को नष्ट कर सकती है, जब वह गलत के खिलाफ खड़ी होती है तो वह सभी को चौंका सकती है। मां दुर्गा ऊर्जा और शक्ति की परम स्रोत हैं।
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मां दुर्गा आरती (Maa Durga Aarti - Jai Ambe Gauri Lyrics Hindi)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,...।
मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,...।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी,...।
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी,...।
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।
शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी,...।
चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी,...।
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी,...।
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी,...।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी,...।
भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी,...।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।
अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी,...।
Durga Maa Aarti Jai Ambe Gauri Lyrics in English