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जानें सप्ताह के किन दो दिन माता तुलसी को नहीं देना चाहिए जल, बन सकते हैं पाप के भागी

kumari sunidhiraj My jyotish expert Updated Thu, 26 Aug 2021 07:54 PM IST
तुलसी पूजा से जुड़े नियम
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भारतीय संस्कृति में तुलसी को उसके महान गुणों के कारण सभी पौधों में सर्वश्रेष्ठ सम्मान दिया गया है। तुलसी अति प्राचीन पौधा है और बहुत से ग्रंथों और पुस्तकों में इसका उल्लेख मिलता है। यह मान्यता है कि तुलसी जी को घर में लगाने से रोग से बचा होता है। तुलसी जी को शास्त्रों में पूजनीय, पवित्र और देवी का रूप माना गया है। तुलसी के पौधे की उत्पत्ति संबंध में स्कंद पुराण में लिखा हुआ है कि जब समुंद्र मंथन के समय जब भगवान विष्णु को अमृत की प्राप्ति हुई तो उसे देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई और उनके नेत्र से खुशी के आंसू निकल गए जो कलश पर गिरे और उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई। उसी समय ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु को तुलसी को समर्पित कर दिया। हरि की प्रिया होने के कारण ही तुलसी को हरिप्रिय, विष्णुवल्लभ और आदि ऐसे नामों से जाना जाता है। प्राचीन काल से ही तुलसी का पौधा अपने विशेष गुणों के कारण ही हर घर का हिस्सा रहा है। कार्तिक मास में तुलसी लगाने का विशेष महत्व है माना जाता है कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में तुलसी का पौधा लगाता है और जितने पौधे लगाता है उसे उतने ही पापों से छुटकारा मिलता है। तुलसी अपने विशेष गुणों के कारण हर पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भगवान सत्यनारायण की पूजा में तुलसी का विशेष महत्व है।
तुलसी का पौधा एक विशेष महत्व रखता है हर भारतीय के घर में तुलसी का पौधा देखने को मिल सकता है लेकिन इस पौधे की देखरेख का विशेष ध्यान रखना होता है। और ऐसे बहुत से नियम हैं जिनका विशेष महत्व होता है इन्हीं में से एक है तुलसी को जल अर्पित करने का नियम
तुलसी को जल देते हुए रखें इन बातों का ध्यान

किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व बात कीजिए ज्योतिषी से

 

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